(तस्वीरों के साथ)
अहमदाबाद, 27 जून (भाषा) अहमदबाद में भगवान जगन्नाथ की 148वीं रथयात्रा शुक्रवार को हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में शांतिपूर्वक संपन्न हो गई। श्रद्धालु भगवान की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े थे।
हालांकि, इस वर्ष वार्षिक आयोजन में एक हाथी के उत्पात मचाने के कारण कुछ समय के लिए व्यवधान उत्पन्न हुआ।
अहमदाबाद के विभिन्न इलाकों से गुजरी भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा को संपन्न होने में करीब12 घंटे का समय लगा।
अधिकारियों ने बताया कि रथ यात्रा जब शहर के खड़िया इलाके से गुजर रही थी तभी एक हाथी अत्यधिक शोर से परेशान होने के बाद अवरोधक तोड़कर एक संकरी गली में घुस गया, जिससे मची अफरा-तफरी के दौरान एक व्यक्ति घायल हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
शहर के कांकरिया चिड़ियाघर के अधीक्षक आर के साहू ने बताया कि दो अन्य हथिनियों पर सवार महावतों ने हाथी का पीछा किया और उसे काबू में किया, ताकि यात्रा अपने निर्धारित मार्ग पर सुचारू रूप से आगे बढ़े।
पुलिस उपायुक्त (नियंत्रण कक्ष) कोमल व्यास ने बताया, “खड़िया क्षेत्र में एक हाथी के परेशान होकर एक संकरी गली में घुस जाने से मची अफरा-तफरी में एक व्यक्ति घायल हो गया। घायल व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।’’
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने जमालपुर इलाके में 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर में सुनहरे झाड़ू से रथों के लिए रास्ता साफ करने की प्रतीकात्मक रस्म ‘पहिंद विधि’ निभाई, जिसके बाद सुबह भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और उनके बड़े भाई बलभद्र के रथों ने 16 किलोमीटर के मार्ग पर अपनी यात्रा शुरू की। जमालपुर के जगन्नाथ मंदिर से तीनों रथों को खलासी समुदाय ने सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार बाहर निकाला।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ महीने के दूसरे दिन आषाढ़ी बीज को रथ यात्रा निकाली जाती है। देवताओं को रथों पर बिठाए जाने से पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तड़के चार बजे मंदिर पहुंचे और ‘मंगला आरती’ अनुष्ठान में भाग लिया।
इस करीब 1.5 किलोमीटर लंबे जुलूस में लगभग 17 सुसज्जित हाथी, झांकियों से लदे 100 ट्रक, लगभग 30 धार्मिक मण्डली और अखाड़े, लगभग 20 गायन मंडलियां शामिल थी।
यात्रा पूरे दिन जमालपुर, कालूपुर, शाहपुर और दरियापुर जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरी और लगभग 12 घंटे के बाद देर शाम मंदिर लौटी।
भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना प्रदर्शित करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय ने शहर के विभिन्न मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में फूलमालाओं और अन्य प्रसाद के साथ रथों का स्वागत किया।
पुरानी परंपरा के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी दिलीपदासजी महाराज, जो जुलूस के साथ खुली जीप में सवार होते हैं, को दरियापुर में स्थानीय मुस्लिम नेताओं द्वारा शॉल और माला भेंट की गई।
पुजारी ने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के प्रदर्शन के रूप में सफेद कबूतर भी छोड़े।
भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव का ऐसा ही नजारा उस समय देखने को मिला जब जुलूस के अंत में वाहन पर सवार महंत रथ यात्रा की वापसी के दौरान शाहपुर क्षेत्र में पहुंचे।
शाहपुर के रंगीला चौकी पर पूर्व विधायक ग्यासुद्दीन शेख के नेतृत्व में स्थानीय मुसलमानों ने सांप्रदायिक सद्भाव के प्रदर्शन के तौर पर दिलीपदासजी को माला पहनाई और कबूतर छोड़े।
जुलूस के दरियापुर पहुंचने से पहले, कई मुस्लिम पुरुष और महिलाएं बड़े-बड़े पोस्टरों के साथ मार्ग पर चल रहे थे, जिनमें नागरिकों से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और बेहतर कल के लिए एक-दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने का आग्रह किया गया था।
इस बार, पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को दर्शाती कई झांकियां जुलूस का मुख्य आकर्षण रहीं।
ट्रक को ब्रह्मोस मिसाइलों के कटआउट के साथ-साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के पोस्टरों से सजाया गया था, जिन्होंने पिछले महीने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी।
रथ यात्रा की सुरक्षा के लिए शहर में स्थानीय पुलिस बल, रिजर्व पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के लगभग 23,800 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था। इस यात्रा में आमतौर पर 14-15 लाख लोग शामिल होते हैं।
एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक रथ यात्रा के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति को रोकने के लिए पहली बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित निगरानी प्रणाली का इस्तेमाल किया गया।
इसमें कहा गया है कि एआई आधारित प्रणाली मार्ग में आग लगने की स्थिति में पुलिस और अग्निशमन विभाग को सूचित करेगी, इसके अलावा किसी विशेष क्षेत्र में बहुत अधिक लोगों के एकत्र होने पर पुलिस नियंत्रण कक्ष को भी सूचित करेगी।
भाषा धीरज संतोष
संतोष