कोच्चि, 28 जून (भाषा) केरल के संस्कृति मंत्री साजी चेरियन ने शनिवार को आरोप लगाया कि जब से केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में आई है, रचनात्मक स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जाने के कई उदाहरण सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे ताजा मामला आने वाली मलयालम फिल्म ‘जानकी वर्सस स्टेल ऑफ केरल (जेएसके)’ को उसके नाम के कारण प्रमाण पत्र देने से इनकार करने का है।
चेरियन ने कहा कि फिल्म में भाजपा के केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी द्वारा अभिनय किए जाने के बावजूद इसे सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए मंजूरी नहीं दी गई है। उन्होंने पूछा, ‘‘जानकी नाम में क्या गलत है?’’ भाजपा पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्होंने दावा किया कि जब से वह सत्ता में आई है, ‘‘लोगों को सांप्रदायिक रूप से विभाजित करने के प्रयास में यह तय कर रही है कि उन्हें क्या लिखना, बोलना या खाना चाहिए और उन्हें कैसे काम करना या जीना चाहिए’’।
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें रचनात्मक स्वतंत्रता पर सवाल उठाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। राज्य सरकार और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का स्पष्ट मानना है कि किसी भी सांप्रदायिक ताकत के सामने आत्मसमर्पण करने की कोई जरूरत नहीं है।’’
मंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाएं उस खराब स्थिति के ‘लक्षण’ हैं, जिसमें देश फंस जाएगा, अगर केंद्र सरकार की तानाशाही भरी कार्रवाइयों पर सवाल नहीं उठाये गये तथा इन्हें रोका नहीं गया।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी कि कोई अपने बच्चों का नाम नहीं रख सकेगा।’’ केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पुनरीक्षण समिति ने जेएसके के निर्माताओं को मौखिक रूप से निर्देश दिया था कि वे शीर्षक पात्र का नाम बदल दें, क्योंकि जानकी, देवी सीता का दूसरा नाम है।
केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सेंसर बोर्ड से पूछा था कि ‘जानकी’ नाम में क्या गलत है और उसे फिल्म के संबंध में अपनी पुनरीक्षण समिति के निर्णय को लिखित रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
यह टिप्पणी और निर्देश सीबीएफसी द्वारा फिल्म को प्रमाण पत्र देने में देरी के खिलाफ प्रोडक्शन कंपनी ‘कॉसमस एंटरटेनमेंट’ की याचिका पर आया था।
भाषा यासिर दिलीप
दिलीप