पेशावर, 28 जून (भाषा) पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) सूबे की सरकार पर उच्चतम न्यायालय द्वारा विधानसभा की आरक्षित सीटों को लेकर दिये गये एक फैसले के बाद संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान इंसाफ तहरीक पार्टी (पीटीआई) को संसद और प्रांतीय विधानसभाओं में आरक्षित सीटों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है।
पाकिस्तान के संवैधानिक प्रावधान के तहत विधायिका में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सीटें आरक्षित हैं और संबंधित विधानसभाओं में उनकी संख्यात्मक शक्ति के अनुपात में राजनीतिक दलों को ये सीटें आवंटित की जाती हैं।
फरवरी 2024 में पीटीआई आम चुनाव नहीं लड़ सकी क्योंकि पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने इसके अंतर-पार्टी चुनावों को खारिज कर दिया था और चुनाव चिह्न क्रिकेट के बल्ले को वापस ले लिया था। पीटीआई के समर्थन से कई सदस्य बतौर निर्दलीय जीते थे और पार्टी नेतृत्व ने उन्हें आरक्षित सीटों का दावा करने के लिए सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) गठबंधन में शामिल होने के लिए कहा था।
खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा की कुल 145 सीट में से महिलाओं के लिए 21 और अल्पसंख्यकों के लिए चार सीट आरक्षित हैं और फिलहाल ये सभी सीट खाली हैं।
पीटीआई नेता अली अमीन गंडापुर खैबर पख्तूनख्वा सूबे के मुख्यमंत्री हैं और उनकी सरकार को 145 सीट वाली विधानसभा में 93 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। इनमें से 58 निर्दलीय शामिल हैं, जो पहले पीटीआई से संबद्ध थे, लेकिन अब सदन में निर्दलीय के रूप में बैठेंगे जबकि 35 निर्दलीय सदस्य हैं, जो पीटीआई के समर्थन से जीते हैं।
विपक्ष में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के नौ-नौ सदस्य हैं; पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के पांच, जबकि अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के पास दो सीटे हैं।
जाने-माने वकील सलीम शाह होती ने बताया, ‘‘यदि रिक्त आरक्षित सीटों को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार आवंटित किया जाए, तो विपक्ष की ताकत 52 हो सकती है। यदि 35 निर्दलीय विपक्ष के साथ गठबंधन कर लेते हैं, तो उनकी संयुक्त संख्या 88 तक पहुंच जाएगी, जो सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत की सीमा 73 से काफी अधिक है।’’
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश