लखनऊ, 28 जून (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया और प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर पर तंज कसते हुए कहा कि उनका नाम ओपी रातभर होना चाहिए, क्योंकि वह रात भर दल बदलने के बारे में सोचते रहते हैं।
वहीं यादव के इस बयान पर पलटवार करते हुए राजभर ने कहा कि चाहे सपा प्रमुख रात में सपना देखे, चाहे दिन में सत्ता वर्षों तक उनसे दूर ही रहेगी।
दरअसल, शनिवार को पार्टी मुख्यालय में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से संवाददाताओं ने इटावा में यादव कथावाचक की पिटाई मामले में राजभर के एक बयान पर उनसे प्रतिक्रिया मांगी तो अखिलेश ने व्यंग्यात्मक लहजे में उन पर टिप्पणी की।
राजभर ने इटावा कथावाचक मामले में कहा था कि हर समाज को अपने हिस्से का काम करना चाहिए और यादवों को अपने पारंपरिक कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इटावा जिले के दंदारपुर गांव में 22-23 जून की रात को भागवत कथा करने वाले दो कथावाचकों मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत सिंह यादव के साथ कथित तौर पर ‘‘ऊंची जाति’’ के लोगों द्वारा दुर्व्यवहार और अपमानित किया गया। इस मामले को लेकर सूबे की सियासत गर्म हो गयी है।
सवालों के जवाब में सपा प्रमुख ने कहा कि राजभर का नाम ओपी राजभर नहीं ओपी रातभर होना चाहिए क्योंकि वे रात भर दल बदलने के बारे में सोचते रहते हैं।
यादव के इस बयान के कुछ देर बाद सुभासपा प्रमुख राजभर ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर एक पोस्ट में कहा, “सुभासपा सत्ता का दरवाज़ा है, उसी दरवाजे से श्री अखिलेश यादव जी सत्ता प्राप्त करने के लिए बेचैन हैं।”
इसी पोस्ट में उन्होंने कहा “जब तक दरवाज़े पर एनडीए के साथ सुभासपा खड़ी रहेगी, तब तक सत्ता सपा को नसीब नहीं होगी।”
सुभासपा प्रमुख ने पोस्ट में दावा किया, “अखिलेश जी दिनभर रातभर यही सोचते हैं, राजग के साथ खड़े सभी असली पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वाले आ जाते तो सत्ता मिल जाती, लेकिन यह चाहे सपा प्रमुख रात में सपना देखें, चाहे दिन में सत्ता वर्षों तक उनसे दूर ही रहेगी।”
कभी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) तो कभी सपा से गठबंधन करने वाले राजभर का इतिहास बगावत का रहा है।
उन्होंने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए राजग के साथ गठबंधन किया था, लेकिन चुनाव के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पहली सरकार में मंत्री पद छोड़कर गठबंधन तोड़ दिया।
राजभर 2022 के उप्र विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे और उनकी पार्टी को छह सीटों पर जीत मिली। हालांकि, राजभर का सपा से गठबंधन चल नहीं पाया और उन्होंने रिश्ता तोड़कर एक बार फिर राजग का घटक दल बनना स्वीकार किया। वह 2024 के चुनाव में राजग के साथ गठबंधन में शामिल हो गए और मंत्री भी बन गए। फिलहाल वह भाजपा नीत राजग के सहयोगी दल के रूप में विपक्षी दलों पर लगातार हमलावर हैं।
भाषा
आनन्द, रवि कांत रवि कांत