25.7 C
Jaipur
Sunday, June 29, 2025

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने डॉक्टर की चिकित्सीय लापरवाही संबंधी राज्य आयोग के फैसले को बरकरार रखा

Newsराष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने डॉक्टर की चिकित्सीय लापरवाही संबंधी राज्य आयोग के फैसले को बरकरार रखा

नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एक डॉक्टर को चिकित्सीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, जबकि मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे की राशि 30 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये कर दी ।

आयोग के अध्यक्ष बिजॉय कुमार एवं न्यायमूर्ति सरोज यादव की पीठ पी यशोधरा की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। इस अपील में आंध्र प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मार्च 2019 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें डॉक्टर को चिकित्सीय लापरवाही का दोषी ठहराते हुए शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा के लिए अन्य लागतों के साथ कुल 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।

शिकायतकर्ता के. श्रीलता ने आरोप लगाया कि 17 अप्रैल 2011 को प्रसव के दौरान चिकित्सक की लापरवाही के कारण बच्चे के सिर पर गंभीर चोटें आईं तथा उसके दाहिने कान का पिन्ना (सिर के बाहर दिखायी देने वाला हिस्सा) भी कुचलकर अलग हो गया था।

श्रीलता ने आगे आरोप लगाया कि इन चोटों के कारण बच्चे के मस्तिष्क को क्षति पहुंची और वह मानसिक रूप से दिव्यांग हो गया था।

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने छह जून के अपने फैसले में कहा कि चिकित्सक के अस्पताल ने सर्जरी के लिए ‘सहमति’ प्राप्त नहीं की थी, और बच्चे के सिर पर चोट आयी।

हालांकि, आयोग ने कहा कि सिर पर आयी चोटों का संबंध लड़के की ‘मानसिक दिव्यांगता’ से जोड़ना कठिन है, क्योंकि इसके लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया।

आयोग ने यह भी कहा कि मानसिक पीड़ा के लिए दिया गया 30 लाख रुपये का मुआवजा बहुत अधिक प्रतीत होता है तथा राज्य आयोग ने यह नहीं बताया कि यह राशि कैसे निर्धारित की गई।

इसमें कहा गया है कि मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये की राशि उचित होगी।

भाषा

शुभम रंजन

रंजन

रंजन

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles