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Sunday, June 29, 2025

मप्र : आदिवासी समुदाय ने अपनी मांगों को लेकर शिवराज के सामने किया प्रदर्शन

Newsमप्र : आदिवासी समुदाय ने अपनी मांगों को लेकर शिवराज के सामने किया प्रदर्शन

सीहोर (मप्र), 28 जून (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में आदिवासी समुदाय के सैकड़ों सदस्यों ने शनिवार को यह दावा करते हुए प्रदर्शन किया कि प्रस्तावित सरदार वल्लभभाई पटेल अभयारण्य के लिए उन्हें उनकी जमीनों से बेदखल किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने वन विभाग पर सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाया और प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि उनके साथ अन्याय ना हो, इसके लिए वह इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मोहन यादव से चर्चा करेंगे।

चौहान यहां जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। सीहोर उनके संसदीय क्षेत्र विदिशा का हिस्सा है।

देवास के खिवनी अभयारण्य में वन विभाग ने पिछले दिनों आदिवासियों के 50 से अधिक कच्चे मकानों को अतिक्रमण बताकर जेसीबी से ध्वस्त कर दिया था।

आदिवासियों का कहना है कि सरदार वल्लभभाई पटेल अभयारण्य के लिए उन्हें उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है।

उन्होंने इसे ‘अन्याय’ बताते हुए सरकार से वन विभाग की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है।

आदिवासियों ने कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो आदिवासी समाज आंदोलन करेगा।

लगभग हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग सीहोर में प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और उन्होंने अपनी मांगों को लेकर चौहान को एक ज्ञापन सौंपा।

चौहान ने संवाददाताओं से बातचीत में प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिलाया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव और भारतीय जनता पार्टी की सरकार गरीब और आदिवासी हितैषी है और उनकी समस्या के समाधान के लिए उचित उपाय किए जाएंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आदिवासी भाई-बहन मिलने आए थे। उन्होंने अपनी समस्या बताई है। हमारे मुख्यमंत्री मोहन यादव गरीब हितैषी, आदिवासी हितैषी हैं। आदिवासी भाई-बहनों की जो तकलीफ थी, वह उन्होंने हमें बताई है। विशेषकर, कोई अभयारण्य की बात फिर से हुई है जहां उनके गांव बने हैं।’

आदिवासी समुदाय को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘आदिवासियों की जमीन को कोई नहीं छीन सकता। मामा आदिवासियों के साथ है।’

उन्होंने कहा, ‘वन विभाग जो कर रहा है… सरकार की छवि खराब करने का प्रयास है…ये नहीं करें।’

भाषा

सं, ब्रजेन्द्र, रवि कांत रवि कांत

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