नैनीताल, 28 जून (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शनिवार को राज्य की जेलों से 140 पात्र कैदियों को रिहा नहीं किए जाने को लेकर अप्रसन्नता व्यक्त की।
अदालत ने ऐसी रिहाई पर विचार करने के लिए दो सप्ताह के भीतर एक सक्षम प्राधिकार बोर्ड के गठन का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्द्र और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने तथा रिहाई में तेजी लाने के लिए लगातार प्रयासों के बावजूद, रिहाई के पात्र दोषियों को राज्य की जेलों में 5-6 वर्षों से अधिक समय तक कष्ट सहना पड़ रहा है।
सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें 140 कैदियों की सूची दी गई थी, जो सरकार की नीति के तहत शीघ्र रिहाई के पात्र थे।
रिपोर्ट में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि सूची में शामिल पहले तीन कैदी सरकारी आदेशों के तहत क्रमशः 2019, 2020 और 2021 से रिहाई के पात्र थे।
अदालत ने इसे प्रशासनिक उदासीनता का उदाहरण बताते हुए निर्देश दिया कि पात्र कैदियों की रिहाई पर विचार करने के लिए दो सप्ताह के भीतर एक सक्षम प्राधिकारी बोर्ड का गठन किया जाए।
इसने यह भी निर्देश दिया कि ऐसे कैदियों के व्यक्तिगत मामलों की समीक्षा की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाये।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप