27.6 C
Jaipur
Sunday, June 29, 2025

शुक्ला ने मोदी से कहा,सूक्ष्मशैवाल व सूक्ष्मगुरुत्व में मांसपेशियों के नुकसान का अध्ययन कर रहे हैं

Newsशुक्ला ने मोदी से कहा,सूक्ष्मशैवाल व सूक्ष्मगुरुत्व में मांसपेशियों के नुकसान का अध्ययन कर रहे हैं

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा)अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने शनिवार को कहा कि वह इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि क्या विशिष्ट पूरक पदार्थ सूक्ष्मगुरुत्व स्थितियों में मांसपेशियों को होने वाले नुकसान की गति को धीमी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इससे बुजुर्गों की मांसपेशियों के क्षरण को रोकने के लिए दवा विकसित करने में मदद मिल सकती है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस)से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत में शुक्ला ने कहा कि उनका सूक्ष्मगुरुत्व स्थितियों में सूक्ष्म शैवाल, जो अत्यधिक पौष्टिक होते हैं, की वृद्धि पर एक प्रयोग करने का भी कार्यक्रम है।

शुक्ला ने प्रधानमंत्री से कहा, ‘‘यदि अंतरिक्ष में प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर इन्हें (सूक्ष्म शैवाल को) अधिक मात्रा में विकसित करने के तरीके विकसित किए जा सकें, तो इससे पृथ्वी पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बहुत मदद मिल सकती है।’’

शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय हैं। वह वाणिज्यिक एक्सिओम-4 मिशन के तहत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ बृहस्पतिवार को आईएसएस पहुंचे। शुक्ला 14 दिनों तक वहां रहेंगे और इस दौरान वह वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लेंगे।

प्रधानमंत्री ने शुक्ला से कहा कि वे मिशन के दौरान अपने अवलोकनों और सीखों को परिश्रमपूर्वक रिकार्ड करें, जो भारत के भविष्य के मिशनों के लिए बहुत मूल्यवान होगा।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत को मिशन गगनयान के साथ आगे बढ़ना चाहिए, अपना स्वयं का अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करना चाहिए और चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतारने का लक्ष्य हासिल करना चाहिए।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि शुक्ला की ऐतिहासिक यात्रा केवल अंतरिक्ष तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे भारत को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में प्रगति में तेजी और मजबूती मिलेगी।

मोदी ने शुक्ला से युवाओं को संदेश देने को कहा, जो उनसे प्रेरणा लेते हैं।

शुक्ला ने युवाओं को दिए अपने संदेश में कहा, ‘‘सफलता की कोई सीमा नहीं है, न मेरे लिए, न आपके लिए, न ही भारत के लिए।’’

शुक्ला ने युवाओं से इस विश्वास को बनाए रखने का आग्रह किया, क्योंकि यह उन्हें अपना और देश का भविष्य उज्ज्वल बनाने में मार्गदर्शन करेगा।

उन्होंने कहा कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने सात अनूठे प्रयोगों की तैयारी की है, जिन्हें वे अंतरिक्ष केंद्र पर करेंगे।

शुक्ला ने बताया कि पहला प्रयोग स्टेम कोशिकाओं पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य यह जांचना है कि क्या विशिष्ट पूरक पदार्थ गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में मांसपेशियों की क्षति को रोक सकते हैं या विलंबित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस अध्ययन के परिणाम पृथ्वी पर उन बुजुर्गो की सीधे तौर पर मदद कर सकते हैं जो उम्र से संबंधित मांसपेशियों के क्षरण का सामना कर रहे हैं।

शुक्ला ने बताया कि एक अन्य प्रयोग सूक्ष्म शैवाल की वृद्धि पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि हालांकि सूक्ष्म शैवाल आकार में छोटे होते हैं, लेकिन वे अत्यधिक पौष्टिक होते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि अंतरिक्ष में प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर इन्हें अधिक मात्रा में उगाने के तरीके विकसित किए जा सकें, तो इससे पृथ्वी पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।’’

शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष में प्रयोग करने का एक बड़ा लाभ यह है कि जैविक प्रक्रियाओं की गति तीव्र हो जाती है, जिससे अनुसंधानकर्ता पृथ्वी की तुलना में अधिक तेजी से परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

भाषा धीरज संतोष

संतोष

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles