(मोहित सैनी)
नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) डॉ बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (एयूडी) की कुलपति अनु सिंह लाठर ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कई प्रमुख घटकों को इसकी औपचारिक रूप से शुरुआत होने से बहुत पहले से ही लागू कर रहा था। उन्होंने कहा कि संस्थान नीति के प्रगतिशील लक्ष्यों के साथ ‘स्वाभाविक रूप से जुड़ा’ है।
लाठर ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में छात्र राजनीति, बुनियादी ढांचे के विकास और विश्वविद्यालय के सामाजिक समानता पर ध्यान केंद्रित करने के विषय पर भी बात की।
उन्होंने कहा, ‘नीति आने से बहुत पहले ही हम एनईपी के लिए तैयार थे।’
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय ने 2009 में अपनी स्थापना के बाद से ही सतत आंतरिक मूल्यांकन और लचीलेपूर्ण विकल्पों को अपनाया था।
उन्होंने बताया, ‘एनईपी ने 2020 में सतत मूल्यांकन की शुरुआत की, जबकि हम वर्षों से इसका पालन कर रहे थे। इसी तरह, बहु निकास प्रणाली (मल्टी-एग्जिट सिस्टम) पहले से ही हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा थी, जिसके तहत छात्र एक साल के बाद प्रमाण-पत्र, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन साल के बाद डिग्री के साथ विश्वविद्यालय से जा सकते थे।’’
लाठर ने कहा कि एयूडी देश के उन शुरुआती विश्वविद्यालयों में है, जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को अपनाया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्वविद्यालय कार्यक्रम के चौथे वर्ष में प्रवेश कर रहा है, जिसे अब तक छात्रों से ‘सकारात्मक प्रतिक्रिया’ मिल रही है।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि अंतिम नामांकन आंकड़ों की प्रतीक्षा है, लेकिन डीन ने हमें सूचित किया है कि बड़ी संख्या में छात्र चौथे वर्ष में भी पढ़ाई जारी रखने के इच्छुक हैं।’
कुलपति ने स्वीकार किया कि उत्साह के बावजूद बुनियादी ढांचा और स्थान चिंता का विषय बना हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘हां, हमें जगह और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन हम सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। इस साल के छात्रों के लिए करमपुरा में एक नयी इमारत बनकर तैयार हो गई है जिसमें 18 कक्षाएं और दो सेमिनार हॉल हैं। हमें सरकार से समय पर वित्तीय सहायता मिलने की उम्मीद है।’
कुलपति ने इस बात पर जोर दिया कि एयूडी का शैक्षिक मॉडल डॉ. अम्बेडकर के समानता और सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ‘हमारा ध्यान हमेशा समावेशिता, समानता, सामाजिक न्याय और लैंगिक संतुलन पर रहा है। ये केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि ये हमारे कार्यक्रमों और शिक्षण पद्धति में प्रतिबिंबित होते हैं।’
लाठर ने एयूडी की शुल्क माफी नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांग छात्रों को प्रवेश के समय से ही पूरे शुल्क में छूट मिलती है – जो अन्य संस्थानों में आम बात नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास अन्य छात्रों की आवश्यकता के आधार पर एक स्तरीय शुल्क-माफी संरचना भी है। हमारे लगभग 58 प्रतिशत छात्र वित्तीय सहायता से लाभान्वित होते हैं और हमारे कुल बजट का लगभग 42 प्रतिशत छात्र कल्याण के लिए आवंटित किया जाता है।’
छात्र राजनीति के विवादास्पद मुद्दे पर, लाठर ने अकादमिक मानदंडों के भीतर लोकतांत्रिक भागीदारी की वकालत की।
उन्होंने कहा, ‘विश्वविद्यालयों को स्वतंत्र सोच को बढ़ावा देना चाहिए। हम सभी दृष्टिकोणों का सम्मान करते हैं, लेकिन किसी भी असामाजिक या राष्ट्र-विरोधी गतिविधि के लिए परिसर में कोई जगह नहीं है।”
कुलपति ने कहा कि एयूडी लिंगदोह समिति की सिफारिशों का सख्ती से पालन करता है और लोकतांत्रिक तरीके से छात्र प्रतिनिधियों का चुनाव करता है, जो विश्वविद्यालय परिषद में भाग लेते हैं।
डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली एक सरकारी विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना दिल्ली सरकार द्वारा 2007 में विधानसभा के एक अधिनियम के माध्यम से की गई थी और जुलाई 2008 में इसे अधिसूचित किया गया था।
भाषा नोमान देवेंद्र
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