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Monday, June 30, 2025

माता-पिता का सहयोग और जानकारी बच्चे की सुचारू शल्य चिकित्सा के लिए महत्वपूर्ण: चिकित्सक

Newsमाता-पिता का सहयोग और जानकारी बच्चे की सुचारू शल्य चिकित्सा के लिए महत्वपूर्ण: चिकित्सक

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) माता-पिता को जब पता चलता है कि उनके बच्चे को शल्य चिकित्सा की आवश्यकता है तो वे आमतौर पर भय, अनिश्चितता और चिंता से घिर जाते हैं लेकिन अच्छी जानकारी और भावनात्मक रूप से तैयार होने से महत्वपूर्ण अंतर आ सकता है। ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।

प्रक्रिया को समझना, यह जानना कि क्या उम्मीद करनी है और ठीक होने के दौरान अपने बच्चे का कैसे साथ देना है, यह सीखना इस यात्रा को आसान बनाने के लिए आवश्यक है। इसलिए परिवारों को इस महत्वपूर्ण समय में आवश्यक आश्वासन, ज्ञान और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के लिए एक व्यापक मार्गदर्शन की बहुत आवश्यकता है।

गुरुग्राम स्थित मेदांता-द मेडिसिटी के शिशु शल्य चिकित्सा एवं शिशु मूत्रविज्ञान विभाग के निदेशक डॉ. शंदीप कुमार सिन्हा ने कहा, ‘माता-पिता को अक्सर चिंता और परेशानी होती है। वे समझ नहीं पाते कि सर्जरी के बाद किस प्रकार के फायदे होंगे, वे क्या उम्मीद लगाएं आदि ।’

उन्होंने कहा, ‘हमारी भूमिका स्पष्टता और मार्गदर्शन प्रदान करना है तथा यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने बच्चे की शल्य चिकित्सा के प्रत्येक चरण को समझें।’

स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि माता-पिता को इस प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी हो और वे इसके प्रति आश्वस्त हों।

चिकित्सकों और नर्सों के साथ खुला संवाद माता-पिता को सशक्त बना सकता है और उन्हें स्पष्टता के साथ निर्णय लेने में सक्षम बना सकता है। सर्जरी से पहले माता-पिता को प्रक्रिया की आवश्यकता वाली स्थिति के बारे में जानने के लिए समय निकालना चाहिए।

अपने बच्चे की सर्जरी के संभावित परिणामों, जोखिमों और ठीक होने संबंधी अपेक्षाओं के बारे में चिकित्सा पेशेवरों से बात करने से उन्हें इस पूरी यात्रा में निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।

डॉ. सिन्हा ने इस बात पर जोर दिया कि योग्य चिकित्सा टीम का चयन करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘जब बच्चों की सर्जरी की बात आती है तो अनुभव मायने रखता है। माता-पिता को शल्य चिकित्सक की चिकित्सकीय पृष्ठभूमि, अस्पताल की सुविधाओं और शल्य चिकित्सा के बाद मिलने वाली सहायता के बारे में पूछने में आत्मविश्वास महसूस करना चाहिए।’

एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिसियन्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. रमन कुमार ने भावनात्मक समर्थन के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ‘शिशु के स्वास्थ्य में सुधार उसके माता-पिता की भावनात्मक स्थिति से काफी प्रभावित होता है। जब माता-पिता शांत और आश्वस्त रहते हैं, तो उनका शिशु सुरक्षा की भावना महसूस करता है, यहां तक ​​कि अस्पताल में भी।’

डॉ. कुमार ने कहा कि सर्जरी के दिन यह जानना कि क्या होने वाला है, महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है।

उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा अभिभावकों को उपस्थित रहने और सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’

भाषा

शुभम नरेश

नरेश

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