भोपाल, 29 जून (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मशरूम की खेती और पशुपालन से जुड़े एक स्व-सहायता समूह से संबंधित बालाघाट जिले की सुमा उइके का उल्लेख करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रविवार को आभार व्यक्त किया।
यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में राज्य सरकार महिलाओं, युवाओं, गरीबों और किसानों के जीवन में बदलाव लाकर उन्हें आत्मनिर्भरता के रास्ते पर अग्रसर करने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 123वें संस्करण में राज्य के प्रयासों का उल्लेख होने के बाद मध्यप्रदेश के लोगों का उत्साह बढ़ गया है।
प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम में सुमा उईके का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मेहनत, आत्मविश्वास और आजीविका मिशन की मदद से खुद को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया।
उईके जिले के कटंगी विकासखंड के ग्राम भजियापार की रहने वाली हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि सुमा उईके कभी सिर्फ अपने घर-गृहस्थी के कामों तक सीमित थीं, लेकिन आजीविका मिशन के कर्मियों से मिले मार्गदर्शन से उन्हें स्व-सहायता समूह का महत्व पता चला।
इसके बाद उन्होंने आस-पास की महिलाओं को संगठित कर ‘आदिवासी आजीविका विकास स्व-सहायता समूह’ का गठन किया, जिसकी वह अध्यक्ष बनीं। समूह के माध्यम से उन्होंने जैविक मशरूम उत्पादन और पशुपालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
बयान के मुताबिक, वर्ष 2021 में उन्होंने 2000 रुपये की ऋण सहायता से मशरूम उत्पादन की शुरुआत की। हालांकि लॉकडाउन के कारण यह कार्य बाधित हुआ, लेकिन सुमा ने हार नहीं मानी।
बयान में बताया गया कि वर्ष 2022 में उन्हें जनपद पंचायत कटंगी परिसर में ‘दीदी केंटीन’ का संचालन का अवसर मिला, जिससे उनकी मासिक आय लगभग 8000 रुपये होने लगी।
बाद में, थर्मल थैरेपी के क्षेत्र में उन्होंने प्रशिक्षण लेकर नया व्यवसाय प्रारंभ किया।
बयान में कहा गया कि मशरूम उत्पादन, दीदी केंटीन और थर्मल थैरेपी सेंटर जैसे विभिन्न उपक्रमों से जुड़कर सुमा की मासिक आय अब 19,000 रुपये तक पहुंच गई है, वहीं उनके परिवार की कुल मासिक आय लगभग 32,000 रुपये हो गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बात’ में उनके कार्यों की सराहना किया जाना, न केवल सुमा दीदी के लिए बल्कि पूरे बालाघाट और प्रदेशभर के लिए गौरव की बात है।
उन्होंने कहा, ‘सुमा उईके अब उन हजारों महिलाओं की प्रतीक बन गई हैं जो सीमित संसाधनों के बावजूद सपने देखती हैं और उन्हें साकार भी करती हैं।’
भाषा ब्रजेन्द्र नोमान
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