(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली/ शिमला/ उत्तरकाशी, 29 जून (भाषा) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में रविवार तड़के बादल फटने के कारण दो निर्माण श्रमिकों की मौत हो गई और सात लापता हो गए।
इधर, मानसून अपनी सामान्य तिथि से करीब एक सप्ताह पहले पूरे देश में पहुंच गया, जिसके चलते राष्ट्रीय राजधानी और अन्य उत्तरी राज्यों में बारिश हुई और कई पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन हुआ।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, देहरादून, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार और नैनीताल समेत उत्तराखंड के कई जिलों में 29 और 30 जून को भारी बारिश के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है।
राज्य प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को लेकर चारधाम यात्रा को एक दिन के लिए रोक दिया है।
शिमला मौसम विज्ञान केंद्र ने हिमाचल प्रदेश के 10 जिलों के लिए मूसलाधार वर्षा का ऐसा ही ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। राज्य में 20 जून को मानसून के आगमन के बाद से बारिश से संबंधित घटनाओं में 20 लोगों की जान जा चुकी है।
उत्तराखंड में बादल फटने के कारण भूस्खलन होने पर उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक होटल के निर्माण में लगे श्रमिकों के अस्थायी आश्रय नष्ट हो गये। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि भूस्खलन के कारण राजमार्ग का लगभग 10 मीटर हिस्सा बह गया और उस वक्त 29 श्रमिक अस्थायी आश्रय में मौजूद थे।
जिला आपदा नियंत्रण कार्यालय का कहना है कि उनमें से 20 को बचा लिया गया जबकि नौ लापता हैं।
पुलिस ने बताया कि बाद में भूस्खलन वाली जगह से करीब 18 किलोमीटर दूर तिलाड़ी शहीद स्मारक के पास यमुना नदी के किनारे से दो लापता मजदूरों के शव बरामद किए गए हैं। बताया जा रहा है कि दोनों मजदूर नेपाली मूल के थे।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और पुलिस के जवान घटनास्थल पर खोज एवं बचाव अभियान चला रहे हैं।
उन्होंने बताया कि भूस्खलन के मलबे के कारण राजमार्ग अवरुद्ध है तथा यमुनोत्री से लौट रहे तीर्थयात्रियों को इस वजह से सुरक्षित स्थानों पर रहने को कहा गया है।
गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने बताया कि एहतियात के तौर पर चारधाम यात्रा एक दिन के लिए स्थगित कर दी गई है तथा सोमवार को यात्रा मार्ग पर मौसम की स्थिति की समीक्षा के बाद आगे की यात्रा पर निर्णय लिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में शनिवार से बारिश से जुड़ी घटनाओं में तीन और मौतें हुई हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार ऊना और बिलासपुर जिलों में एक-एक व्यक्ति डूब गया, जबकि शिमला जिले में ऊंचाई से गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई।
रविवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर शिमला-कालका रेल लाइन पर रविवार को सेवाएं स्थगित कर दी गईं, क्योंकि सोलन जिले में रात भर हुई बारिश के दौरान पटरियों पर पत्थर और पेड़ गिर गए। सोलन के बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र में एक पुल भी बह गया।
शिमला और चंडीगढ़ को जोड़ने वाले शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-5) पर कोटी के निकट भूस्खलन से सड़क के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए, जिसके परिणामस्वरूप घंटों तक दो से तीन किलोमीटर लंबा जाम लगा रहा।
जिले के बद्दी इलाके में बाल्ड नदी उफान पर है और झाड़माजरी के शिवालिक नगर में 20 से ज्यादा घरों में चार फुट तक पानी घुस जाने की खबरें हैं।
इस बीच, मंडी की जूनी खड्ड और ब्यास नदी में जलस्तर बढ़ गया है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे न जाने और सतर्क रहने की अपील की है।
रविवार सुबह पंडोह बांध के सभी पांच गेट खोल दिए गए, जिससे ब्यास नदी में जलस्तर बढ़ गया।
स्थानीय मौसम विभाग ने सोमवार तक 10 जिलों – बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना – के कुछ हिस्सों में मध्यम से उच्च आकस्मिक बाढ़ के खतरे की चेतावनी दी है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2020 के बाद यह पहला मौका है जब मानसून पूरे देश में इतनी जल्दी पहुंचा है। वर्ष 2020 में यह 26 जून तक पूरे देश में पहुंचा था।
आईएमडी का कहना है कि दिल्ली में मानसून अपनी सामान्य तिथि 27 जून के दो दिन बाद पहुंचा।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने एक बयान में कहा, ‘‘मानसून आज यानी 29 जून 2025 को राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शेष हिस्सों और पूरी दिल्ली में पहुंच गया।’’
मौसम विभाग के अनुसार, चंडीगढ़ में रविवार सुबह 8.30 बजे समाप्त हुए पिछले 24 घंटों में 119.5 मिमी बारिश हुई। पंजाब के अन्य स्थानों के अलावा, फिरोजपुर, मोहाली, लुधियाना, पटियाला, पठानकोट और रूपनगर में बारिश हुई।
आईएमडी ने कहा कि अगले सात दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश जारी रहने की संभावना है।
एक अधिकारी ने कहा कि आईएमडी ने रविवार को एक ‘रेड’ अलर्ट जारी कर एक जुलाई तक झारखंड के कुछ हिस्सों में अत्यधिक भारी बारिश होने का पूर्वानुमान किया है।
झारखंड की राजधानी रांची में रविवार सुबह से हल्की से मध्यम बारिश हो रही है। आईएमडी अधिकारी ने कहा है कि दो जुलाई की सुबह तक शहर में भारी बारिश होने की संभावना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारी बारिश के बाद राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिले में एक निजी आवासीय स्कूल में फंसे कम से कम 162 छात्रों को रविवार को पुलिस ने सुरक्षित बाहर निकाला।
कोवाली थाना क्षेत्र के हल्दीपोखर-कोवाली रोड पर पंडरसोली स्थित स्कूल में शनिवार रात को भारी बारिश के कारण परिसर में पानी भर जाने के कारण ये छात्र फंस गए थे।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ऋषभ गर्ग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें सूचना मिली थी कि लव कुश आवासीय विद्यालय के 162 छात्र भारी बारिश के कारण स्कूल परिसर में पानी भर जाने से फंस गए हैं। स्कूल की इमारत के जलमग्न हो जाने के कारण शिक्षकों ने सभी छात्रों को छत पर भेज दिया, जहां उन्होंने रात बिताई।’’
उन्होंने बताया, ‘‘आज सुबह करीब साढ़े पांच बजे सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी और दमकल की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से एक-एक कर छात्रों को बचाया।’’
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आपदा प्रबंधन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा है। झारखंड में एक जून से 28 जून तक 80 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है।
ओडिशा में बुधबलंग, सुवर्णरेखा, जलाका और सोनो समेत कई नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है और सोमवार तक बाढ़ आ सकती है, ऐसा एक अधिकारी ने चेतावनी दी है। राज्य सरकार ने बालेश्वर जिला प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा है।
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (एनएफआर) के लुमडिंग-बदरपुर पहाड़ी खंड में भूस्खलन के कारण छह दिन पहले त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और दक्षिणी असम के लिए स्थगित कर दिये रेल यातायात को रविवार को आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि फिलहाल सीमित रेल परिचालन की अनुमति दी जा रही है और सोमवार तक आवाजाही सामान्य होने की उम्मीद है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा था कि रेल संपर्क के अलावा, भूस्खलन प्रभावित दीमा हसाओ जिले के जरिए आंशिक सड़क संपर्क मुख्य रूप से राज्य के दक्षिणी भाग में बराक घाटी तक, रविवार तक बहाल कर दिया जाएगा।
रविवार को केरल में मुल्लापेरियार बांध के 13 फाटक खोल दिए गए और पेरियार नदी में पानी छोड़ा गया, क्योंकि बांध का जलस्तर पूरी क्षमता के करीब पहुंच गया था।
पिछले कुछ दिनों में बांध के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण जलस्तर बढ़ गया।
इससे पहले, अधिकारियों ने कई गांवों को हाई अलर्ट पर रखा था। बीस से ज़्यादा राहत शिविर बनाए गए हैं और स्थानीय पुलिस और राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी ज़रूरी पुनर्वास में मदद करें।
भाषा राजकुमार नरेश
नरेश