पुरी, 29 जून (भाषा) पुरी के श्री गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ के कुछ घंटों बाद रविवार को भक्त भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की पवित्र ‘पहंडी बिजे’ देखने के लिए श्रद्धा के साथ एकत्र हुए।
भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
‘अडापा मंडप बिजे’ के नाम से मशहूर इस अनुष्ठान का बहुत महत्व है। इस अनुष्ठान के दौरान भगवान जगन्नाथ को उनके भाई-बहन के साथ श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है।
यह मंदिर 12वीं शताब्दी के मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर है और यह भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की मौसी का घर है।
रथ यात्रा के दौरान देवता अपनी मौसी के घर जाते हैं और वहां सात दिन तक रहते हैं और फिर अपने मुख्य निवास जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार गुंडिचा मंदिर वह स्थान है जहां भगवान विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ और उनके भाई,बहन की लकड़ी की मूर्तियों का निर्माण किया था। एक प्रकार से गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ का जन्मस्थान भी माना जाता है।
जब तीनों देवताओं को रथों से उतारकर गुंडिचा मंदिर के गर्भगृह की ओर ले जाया जा रहा था तो वातावरण ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरिबोल’ के जयघोष से गूंज उठा।
भगवान बलभद्र को सबसे पहले मंदिर में ले जाया गया, उसके बाद देवी सुभद्रा को। भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर में सबसे आखिर में प्रवेश करते हैं।
भाषा शोभना नरेश
नरेश