गयाजी(बिहार), 29 जून (भाषा)पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को दावा किया कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है और स्थिति को सही करने के लिए परिसीमन जरूरी है।
राज्यसभा सदस्य कुशवाहा ने गयाजी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए इस दावे को भी ‘भ्रामक’ करार दिया कि परिवार नियोजन उपायों के बेहतर क्रियान्वयन से दक्षिणी राज्यों की जनसंख्या वृद्धि धीमी हो गई है और परिसीमन से ये राज्य नुकसान में रहेंगे।
सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)में शामिल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम)के अध्यक्ष कुशवाहा ने दावा किया, ‘‘अगर हम 1881 में, जब ब्रिटिश राज में पहली जनगणना हुई थी, और 1947 में स्वतंत्रता के बीच की अवधि को देखें, तो दक्षिणी राज्यों में विकास दर अधिक थी। इसका कारण बिहार और उससे सटे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के अकाल और महामारी का अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होना था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम आंकड़ों पर गौर करें तो दक्षिणी राज्यों में प्रत्येक 21 लाख लोगों पर एक लोकसभा क्षेत्र है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में 31 लाख लोग एक सांसद चुनते हैं। यह बाबा साहब आंबेडकर के एक व्यक्ति एक वोट तथा प्रत्येक वोट के समान मूल्य के सिद्धांत के विरुद्ध है।’’
कुशवाहा ने कांग्रेस पर ‘अन्याय’ का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘आपातकाल के दौरान, 1976 में, परिसीमन अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे जनगणना और परिसीमन की एक साथ होने वाली पुरानी प्रथा बाधित हो गई। अब, संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 50 वर्षों से स्थिर है। अन्यथा, बिहार में 60 सांसद होते, जो निचले सदन में इसकी वर्तमान ताकत से 20 अधिक होते।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में दक्षिण में जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आई है, इसका कारण उन राज्य सरकारों का प्रदर्शन नहीं बल्कि शिक्षा में सुधार है, जिसे वे हिंदी पट्टी के लोगों से काफी पहले ही कर सकते थे।’’
कुशवाहा ने कहा, ‘‘हिंदी भाषी राज्यों में शिक्षा का प्रसार हो रहा है और इसका यहां की जनसंख्या वृद्धि पर भी असर पड़ेगा। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, संसद में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व उसकी जनसंख्या के अनुरूप होना चाहिए।’’
उन्होंने बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रहे बौद्धों के साथ एकजुटता भी व्यक्त की। मान्यता है कि वहां करीब 2,500 वर्ष पहले बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
भाषा धीरज नरेश
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