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Monday, June 30, 2025

निर्वाचन आयोग 2003 की बिहार की मतदाता सूची जल्द सामने लाएगा

Newsनिर्वाचन आयोग 2003 की बिहार की मतदाता सूची जल्द सामने लाएगा

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) निर्वाचन आयोग जल्द ही 2003 की बिहार की मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा ताकि लगभग 4.96 करोड़ मतदाता जिनके नाम इसमें शामिल हैं, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए नामांकन प्रपत्र के साथ संलग्न करने के लिए प्रासंगिक हिस्से को निकाल सकें।

विपक्षी दलों द्वारा पुनरीक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाने के बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से वंचित न रहे और कोई भी अपात्र व्यक्ति इसका हिस्सा न हो।

कई विपक्षी दलों ने कहा है कि गहन पुनरीक्षण से राज्य तंत्र का इस्तेमाल करके मतदाताओं को जानबूझकर बाहर करने का खतरा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कवायद का विरोध करने वाले अनुच्छेद 326 का भी विरोध कर रहे हैं, इसलिए उन्हें अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

अनुच्छेद 326 कहता है कि सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जाना चाहिए, और जो पात्र नहीं हैं या भारत के नागरिक नहीं हैं, वे मतदाता सूची का हिस्सा नहीं हो सकते।

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि बिहार में पुनरीक्षण के दौरान, आयोग ने राजनीतिक दलों को सलाह दी थी कि वे बाद में मतदाता सूची में खामियां निकालने के बजाय अभी से सभी मतदान केंद्रों पर अपने कार्यकर्ताओं को बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) के रूप में नियुक्त करें।

शनिवार को आयोग ने कहा कि सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों ने पहले ही 1,54,977 बीएलए नियुक्त कर दिए हैं। आयोग ने बताया कि वे अभी और नियुक्त कर सकते हैं।

बीएलए पार्टी कार्यकर्ता होते हैं जो मतदाता सूची की तैयारी या संशोधन के दौरान बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के साथ समन्वय करते हैं।

निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार के चुनावी तंत्र को जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, 4.96 करोड़ मतदाताओं — जो कुल मतदाताओं का 60 प्रतिशत हैं — और जो 2003 की विशेष व्यापक पुनरीक्षण सूची में शामिल थे, उन्हें अपनी जन्म तिथि या जन्म स्थान साबित करने के लिए समर्थन में कोई भी दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते कि वे पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित मतदाता सूची का प्रासंगिक हिस्सा संलग्न करें।

शेष तीन करोड़ यानी करीब 40 प्रतिशत मतदाताओं को अपना जन्म स्थान या जन्म तिथि प्रमाणित करने के लिए 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से एक दस्तावेज उपलब्ध कराना होगा।

जिन मतदाताओं के माता-पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, उन्हें केवल अपने जन्म स्थान/तिथि के बारे में दस्तावेज देने होंगे। एक अधिकारी ने रेखांकित किया कि ऐसे लोगों को अपने माता-पिता के जन्म स्थान/तिथि के बारे में दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि 2003 की सूची में उनकी प्रविष्टि को सबूत के तौर पर माना जाएगा।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मूल प्रक्रिया यह है कि शेष तीन करोड़ मतदाताओं में से प्रत्येक व्यक्ति की पहचान की जाए, उसके बाद ही उनके नाम सूची में शामिल किए जाएं।’

बिहार में अभी 243 विधानसभा सीट पर 7.89 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। राज्य में इस साल के अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र का निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा कि पुनरीक्षण कार्य करते समय ‘कोई भी पात्र नागरिक छूट न जाए और कोई भी अयोग्य व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो।’

ईआरओ मतदाता सूची में नाम दर्ज करने से पहले प्रत्येक व्यक्ति की पात्रता के बारे में खुद को संतुष्ट करेंगे।

बिहार में अंतिम गहन पुनरीक्षण 2003 में किया गया था, जिसकी अर्हता तिथि एक जनवरी 2003 थी।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

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