28.4 C
Jaipur
Monday, June 30, 2025

हिंदी विवाद: महाराष्ट्र सरकार ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश रद्द किया, समिति बनाने की घोषणा की

Newsहिंदी विवाद: महाराष्ट्र सरकार ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश रद्द किया, समिति बनाने की घोषणा की

(तस्वीरों के साथ)

मुंबई, 29 जून (भाषा) महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य मंत्रिमंडल ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश को रद्द कर दिया।

राज्य विधानमंडल के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाषा नीति के कार्यान्वयन और आगे की राह सुझाने के लिए शिक्षाविद् नरेन्द्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की भी घोषणा की।

समिति ने इस मुद्दे का अध्ययन और रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है।

फडणवीस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक त्रि-भाषा नीति लागू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था और नीति के कार्यान्वयन पर एक समिति गठित की थी।

फडणवीस ने कहा, ‘‘राज्य मंत्रिमंडल ने पहली कक्षा से ‘त्रि-भाषा’ नीति के क्रियान्वयन के संबंध में अप्रैल और जून में जारी दो सरकारी आदेश (जीआर) वापस लेने का निर्णय लिया है। (त्रि-भाषा नीति के) क्रियान्वयन की सिफारिश के लिए डॉ. नरेन्द्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी।’’

उन्होंने कहा कि सरकार (नीति आयोग की पूर्ववर्ती संस्था) योजना आयोग के पूर्व सदस्य और पूर्व कुलपति डॉ. जाधव की रिपोर्ट के आधार पर नया फैसला लेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘समिति के अन्य सदस्यों के नामों की घोषणा कुछ दिनों में की जाएगी। समिति माशेलकर समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और सुझाव देगी कि किस स्तर (कक्षा-1 या अन्य) से त्रि-भाषा नीति लागू की जाएगी।’’

फडणवीस सरकार ने 16 अप्रैल को एक सरकारी आदेश जारी किया था, जिसमें अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया गया था। हालांकि, विरोध बढ़ने पर सरकार ने 17 जून को संशोधित सरकारी आदेश जारी किया, जिसमें हिंदी को वैकल्पिक भाषा बनाया गया।

विपक्षी दलों – शिवसेना (उबाठा), मनसे और राकांपा (एसपी) ने इस कदम की आलोचना की, जिन्होंने इसे महाराष्ट्र में हिंदी को ‘‘थोपा जाना’’ करार दिया।

फडणवीस ने त्रि-भाषा नीति को लागू करने के लिए पहली कक्षा या पांचवीं कक्षा निर्धारित किये जाने को अंतिम रूप देने पर मतभेद को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, ‘‘(भाषा नीति पर) निर्णय मराठी छात्रों के हित में लिया गया है। यदि तीन भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, तो छात्रों को अकादमिक लिहाज से फायदा मिलेगा।’’

फडणवीस ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने 21 सितंबर 2020 को एनईपी को लागू करने के तौर-तरीके पर मंथन के लिए शिक्षा क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों की 18 सदस्यीय माशेलकर समिति नियुक्त की थी। 16 अक्टूबर 2020 को एक सरकारी आदेश भी जारी किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘समिति ने 14 सितंबर 2021 को 101 पन्नों की रिपोर्ट पेश की। समिति ने कहा कि मराठी भाषा के अलावा कक्षा 1 से 12 तक अंग्रेजी और हिंदी भाषाएं पढ़ाई जानी चाहिए। रिपोर्ट सात जनवरी 2022 को राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई। मंत्रिमंडल की बैठक का विवरण उपलब्ध है।’’

फडणवीस ने दावा किया कि शिवसेना (उबाठा) के नेता विजय कदम, जो एक शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं, माशेलकर समिति के सदस्य थे।

फडणवीस ने यह भी दावा किया कि उद्धव ने यह उल्लेख नहीं किया कि उनकी सरकार माशेलकर समिति की रिपोर्ट से असहमत है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उस समय, उद्धव ने यह नहीं कहा कि उनकी सरकार त्रि-भाषा नीति को स्वीकार नहीं कर रही है। तत्कालीन सरकार ने माशेलकर समिति की रिपोर्ट पर एक उप-समूह का गठन किया था।’’

उद्धव ठाकरे पर, भाषा के मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि शिवसेना(उबाठा) अध्यक्ष हिंदी भाषा का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वह ‘‘अंग्रेजी भाषा के लिए लाल कालीन बिछाना चाहते हैं।’’

फडणवीस ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर चाहते थे कि हर कोई हिंदी भाषा सीखे।

प्रेसवार्ता में उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे भी मौजूद थे।

भाषा शफीक सुभाष

सुभाष

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles