तिरुवनंतपुरम, 29 जून (भाषा)केरल के विद्यालयों में नशा रोधी अभियान के तहत जुम्बा फिटनेस कार्यक्रम शुरू करने पर कई मुस्लिम संगठनों द्वारा चिंता जताए जाने के कुछ दिनों बाद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अनुषंगी एक संगठन ने रविवार को राज्य सरकार के खिलाफ इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया और इसे ‘‘सांस्कृतिक आक्रमण’’ और ‘‘पाखंड का प्रदर्शन’’ करार दिया।
तिरुवनंतपुरम स्थित दक्षिणपंथी सांस्कृतिक विचारक संस्था ‘भारतीय विचार केंद्रम’ ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार पर विदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देने और केरल की पारंपरिक खेल, योग और नृत्य की समृद्ध विरासत की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।
संगठन के निदेशक आर. संजयन ने कहा, ‘‘केरल में कला और खेल के क्षेत्र में समृद्ध विरासत है। सरकार, जिसने इस विरासत को संरक्षित करने या बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है, अब जुम्बा जैसे विदेशी उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। यह कदम कुछ निहित स्वार्थों के छिपे हुए एजेंडे के तहत उठाया गया है।’’
उन्होंने कहा कि जुम्बा का उद्देश्य केरल के पारंपरिक शारीरिक प्रशिक्षकों और योग प्रशिक्षकों को अवसरों से वंचित करना है, जिन्हें अब व्यापक मान्यता मिल रही है।
संजयन ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘‘वास्तव में, जुम्बा इस भूमि की पारंपरिक पहचान और विरासत पर अतिक्रमण और सांस्कृतिक आक्रमण है।’’
इससे पहले, विभिन्न मुस्लिम समूहों ने विद्यालय कार्यक्रमों में जुम्बा को शामिल किए जाने का विरोध करते हुए दलील दी थी कि यह नृत्य शैली और इसकी पोशाक उनके सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों के साथ टकराव पैदा करती है।
संजयन ने कहा कि सरकार का कदम लोक कल्याण और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के प्रति उसके दृष्टिकोण में ‘‘स्पष्ट दोहरे मानदंड’’ को रेखांकित करता है।
भाषा धीरज नरेश
नरेश