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Monday, June 30, 2025

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भूटान की चार दिवसीय यात्रा पर गये

Newsसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भूटान की चार दिवसीय यात्रा पर गये

नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी सोमवार को भूटान की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए।

अधिकारियों के मुताबिक, रणनीतिक रूप से अहम स्थान पर स्थित डोकलाम पठार के आसपास बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के चीन के अथक प्रयासों की पृष्ठभूमि में सेना प्रमुख पड़ोसी मुल्क गए हैं। भूटान के साथ पहले से ही घनिष्ठ द्विपक्षीय सैन्य संबंध हैं और उनकी इस यात्रा से रिश्तों के और मजबूत होने की उम्मीद है।

अधिकारियों ने बताया कि भूटान की राजधानी थिम्पू में जनरल द्विवेदी राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे और भूटान के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बट्टू शेरिंग के साथ व्यापक वार्ता करेंगे।

सेना प्रमुख की 30 जून से तीन जुलाई तक की भूटान यात्रा बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के बीच हो रही है। इसी के साथ वह पाकिस्तानी क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सात सप्ताह बाद पड़ोसी देश गए हैं।

भारतीय सेना ने कहा, ‘‘इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थायी द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करना है।’’

उसने कहा कि यह अपने पड़ोसी के प्रति भारत की कटिबद्धता को दर्शाता है।

उम्मीद है कि जनरल द्विवेदी की भूटानी वार्ताकारों के साथ होने वाली वार्ता में डोकलाम पठार की समग्र स्थिति के साथ-साथ क्षेत्र में चीनी गतिविधियां जैसे विषय छाये रहेंगे।

वर्ष 2017 में ‘डोकलाम ट्राई-जंक्शन’ में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले गतिरोध की पृष्ठभूमि में पिछले कुछ वर्षों में भारत और भूटान के बीच रणनीतिक संबंधों में खासी मजबूती आई है।

डोकलाम पठार भारत के सामरिक हित के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।

वर्ष 2017 में ‘डोकलाम ट्राई-जंक्शन’ पर गतिरोध तब शुरू हुआ जब चीन ने उस क्षेत्र में सड़क बनाने की कोशिश की, जिसे भूटान अपना क्षेत्र होने का दावा करता है।

भारत ने इस निर्माण का कड़ा विरोध किया था क्योंकि इससे उसके समग्र सुरक्षा हितों पर असर पड़ता।

डोकलाम पठार में भारत-चीन गतिरोध ने दोनों पड़ोसियों के बीच बड़े संघर्ष की आशंकाओं को भी जन्म दिया।

भूटान ने कहा था कि यह क्षेत्र उसका है और भारत ने भूटान के दावे का समर्थन किया।

कई दौर की बातचीत के बाद गतिरोध का समाधान हो गया।

भूटान की चीन के साथ 400 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा लगती है और दोनों देशों ने विवाद को सुलझाने के लिए लंबी सीमा वार्ता की है।

चीन और भूटान अपने बढ़ते सीमा विवाद के शीघ्र समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, जिसका भारत के सुरक्षा हितों पर प्रभाव पड़ सकता है।

साल 2023 के अंत में, भूटान के तत्कालीन विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ वार्ता की थी। वार्ता को लेकर चीनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भूटान ‘एक-चीन सिद्धांत’ का दृढ़ता से पालन करता है और सीमा मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए चीन के साथ काम करने के लिए तैयार है।

भारत, भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत पर कड़ी नजर रख रहा है, क्योंकि इसका उसके (भारत) के सुरक्षा हितों, विशेष रूप से डोकलाम त्रि-जंक्शन पर प्रभाव पड़ सकता है।

अक्टूबर 2021 में, भूटान और चीन ने अपने सीमा विवाद को सुलझाने के वास्ते वार्ता में तेजी लाने के लिए ‘तीन-चरणीय रोडमैप’ पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

‘रॉयल भूटान आर्मी’ के मुख्य परिचालन अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल ने फरवरी में भारत की यात्रा की।

यात्रा के दौरान उन्होंने जनरल द्विवेदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, विदेश सचिव विक्रम मिसरी और रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के साथ बातचीत की थी।

भाषा राजकुमार नोमान

नोमान

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