नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा)दिल्ली उच्च न्यायालय 1996 में विधि छात्रा प्रियदर्शिनी मट्टू से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे संतोष कुमार सिंह द्वारा दायर समय पूर्व रिहाई की याचिका पर मंगलवार को फैसला करेगा।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने 14 मई को सिंह की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सिंह ने अपनी 2023 याचिका में दिल्ली के कारागारों के सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) द्वारा 21 अक्टूबर, 2021 को हुई बैठक में की गई उस सिफारिश को रद्द करने का अनुरोध किया है जिसमें उसे समय पूर्व रिहा नहीं करने की बात की गई है।
सिंह का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और वह पहले ही छूट सहित 25 साल की कैद काट चुका है।
माथुर ने कहा कि उनके मुवक्किल का आचरण संतोषजनक है, जो सुधार का संकेत देता है तथा यह भी कि भविष्य में अपराध करने की उसकी सारी आशंका समाप्त हो गई है।
अधिवक्ता ने दलील दी कि उनका मुवक्किल समाज का एक उपयोगी सदस्य होगा और पिछले कई वर्षों से वह खुली जेल में भी रहा है।
सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में आया कि 18 सितंबर, 2024 को एक और एसआरबी बैठक में उसकी समय पूर्व रिहाई की अर्जी को फिर से खारिज कर दिया गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय की विधि की छात्रा 25 वर्षीय मट्टू की जनवरी 1996 में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सिंह को तीन दिसंबर 1999 को सुनवाई अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन 27 अक्टूबर 2006 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई अदालत के फैसले को खारिज करते हुए उसे बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई।
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी के बेटे सिंह ने इस सजा को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2010 में सिंह की दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन उसकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।
भाषा धीरज नरेश
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