नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा)मणिपुर के तीन प्रमुख नागरिक समाज समूहों ने सोमवार को केंद्र के प्रतिनिधियों से बात की और इस दौरान पूर्वोत्तर राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने और जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और इंफाल घाटी के परिधीय क्षेत्रों में रहने वाले किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
तीन समूहों – कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी(सीओसीओएमआई), ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब ऑर्गेनाइजेशन (एएमयूसीओ) और फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन (एफओसीएस) के सदस्यों वाले 19 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृहमंत्रालय में सलाहकार ए के मिश्रा के नेतृत्व वाले चार प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
सूत्रों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्रालय की टीम को बताया कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को किसी भी कीमत पर बनाए रखा जाना चाहिए, जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों का पुनर्वास किया जाना चाहिए और इंफाल घाटी और राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के बीच के क्षेत्र में कृषि गतिविधियों में लगे लोगों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
हाल के दिनों में इंफाल घाटी के परिधीय क्षेत्रों में भूमि की जुताई को लेकर मेइती और कुकी गांववासियों के बीच झड़पें हुई हैं।
राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाले जाने के बाद तीन मई, 2023 से पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी जो अब तक जारी है।
अब तक जातीय हिंसा में कुकी और मेइती समुदायों के सदस्यों तथा सुरक्षाकर्मियों सहित लगभग 260 लोग मारे जा चुके हैं।
भाषा धीरज नरेश
नरेश