नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर चलाए गए सत्यापन अभियान के बाद दिल्ली सरकार की महिला पेंशन योजना के तहत 60,000 से अधिक लाभार्थी अपात्र पाई गई हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इस योजना के तहत विधवा, तलाकशुदा, अलग रह रही और बेसहारा महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। हालांकि, पिछले साल नवंबर में शुरू किए गए घर-घर सत्यापन अभियान के दौरान इसके क्रियान्वयन में व्यापक विसंगतियां सामने आईं।
एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सत्यापन अभियान के बाद 60,000 से अधिक अपात्र लाभार्थियों के नाम लाभार्थी सूची से हटा दिए गए हैं।
अधिकारी के मुताबिक, ‘‘सत्यापन में कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें महिलाएं पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करती थीं, लेकिन उन्हें पेंशन मिलना जारी था। इनमें तलाकशुदा होने का दावा करने वाली पुनर्विवाहित महिलाएं, स्थिर आय के बावजूद सहायता प्राप्त करने वाली कार्यरत महिलाएं और अन्य महिलाएं शामिल थीं, जो अब अपने पंजीकृत पते पर नहीं रहती थीं।’’
उन्होंने बताया कि योजना के मौजूदा मानदंडों के तहत कई लाभार्थी अयोग्य पाई गईं।
अधिकारी के अनुसार, ‘‘सभी जिलों में सत्यापन अभियान पूरा हो चुका है और डेटाबेस में आवश्यक सुधार कर दिए गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस अभ्यास से हम यह सुनिश्चित करने में सक्षम हुए हैं कि पेंशन केवल उन महिलाओं को प्रदान की जाए, जो वास्तव में इसके लिए पात्र हैं।
अधिकारी ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से संचालित सत्यापन प्रक्रिया में लगभग 4.25 लाख लाभार्थी शामिल थीं।
उन्होंने बताया कि अपात्र पाई गई लाभार्थियों का पेंशन भुगतान बंद कर दिया गया है और सत्यापित लाभार्थियों के लिए इसे फिर से शुरू कर दिया गया है।
अधिकारी ने कहा कि मौजूदा समय में इस योजना के तहत लगभग 3.65 लाख महिलाएं नियमित पेंशन प्राप्त कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस पहल का मकसद पात्र आवेदकों से समर्थन वापस लेना नहीं है, बल्कि धोखाधड़ी वाले दावों को खत्म करना और जवाबदेही को मजबूत करना है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘कल्याणकारी प्रणाली की शुचिता को बनाए रखने के लिए लाभार्थी सूची को दुरुस्त करना आवश्यक है। इससे धन के दुरुपयोग को रोकने में भी मदद मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि पात्र महिलाएं समय पर सहायता से वंचित न रहें।’’
महिला पेंशन योजना आर्थिक रूप से कमजोर विधवाओं को आय का एक नियमित स्रोत प्रदान करने के लिए 2007-08 में शुरू की गई थी। इसके तहत, पहले साल 6,288 महिलाओं को 600 रुपये प्रति माह की सहायता दी गई। समय के साथ, सहायता राशि बढ़ाई गई और पात्रता मानदंडों का विस्तार किया गया।
मौजूदा समय में पात्र आवेदकों की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए, वे पांच या अधिक वर्षों से दिल्ली की निवासी होनी चाहिए और ऐसे परिवार से संबंधित होनी चाहिए, जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक न हो।
भाषा पारुल नरेश
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