नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) ब्राजील में आयोजित होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में समूह के नेताओं की ओर से जारी किए जाने वाले घोषणापत्र में भारत की उम्मीद के अनुरूप पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा और आतंकवाद का एकजुट होकर सामना करने के लिए दृढ़ रुख अपनाने का आह्वान शामिल होगा।
विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने संवाददाताओं से कहा कि ब्रिक्स नेताओं के घोषणापत्र में आतंकवाद के संबंध में जो बातें कही जाएंगी, वे हमारे लिए ‘संतोषजनक’ होंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रियो डी जेनेरियो में छह और सात जुलाई को आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। भारत अगले साल ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करेगा।
मोदी दो से नौ जुलाई तक पांच देशों की अपनी यात्रा के तहत ब्राजील पहुंचेंगे। वह जिन अन्य देशों की यात्रा करेंगे, उनमें घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया शामिल हैं। इस यात्रा का मकसद महत्वपूर्ण खनिज, रक्षा एवं सुरक्षा, व्यापार, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
रवि ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी की भागीदारी समूह के साथ भारत की एकजुटता की अभिव्यक्ति होगी और उनके लिए ‘ग्लोबल साउथ’ के नेताओं से जुड़ने का एक बड़ा मौका होगा।
उन्होंने कहा, ‘पहलगाम पर भारत के रुख के साथ अपनी सहमति, सहानुभूति और एकजुटता को लेकर सदस्यों ने जो दृष्टिकोण अपनाया है, उसमें कोई विरोधाभास नहीं है। मुझे लगता है कि इसे नेताओं की घोषणा में अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है और सभी सदस्य इस मामले को लेकर बहुत संवेदनशील हैं।’
रवि ने कहा, ‘आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीके पर भी व्यापक समझ है और इससे निपटने में किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। मुझे लगता है कि इसे बहुत अच्छी तरह से समझा गया है।’
उन्होंने कहा, ‘जब आपको घोषणापत्र मिलेगा, तो आप देखेंगे कि इसकी भाषा हमारे लिए संतोषजनक है।’
ब्रिक्स दुनिया की 11 प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है, जो लगभग 49.5 फीसदी वैश्विक आबादी, करीब 40 प्रतिशत वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और लगभग 26 फीसदी वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ब्रिक्स घोषणापत्र में ईरान-इजराइल संघर्ष का जिक्र होने की भी उम्मीद है।
रवि ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से चार ठोस ‘उपलब्धियां’ हासिल होने की उम्मीद है, जिनमें वैश्विक शासन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु वित्त पर एक मासौदा घोषणापत्र और सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन के लिए साझेदारी शामिल है।
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के उनके समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के शिखर सम्मेलन में शामिल न होने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर रवि ने केवल इतना कहा कि यह भारत के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को आगे बढ़ाने के लिए एक अहम मंच होगा।
रवि ने संकेत दिया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापारिक लेन-देन के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ”ग्लोबल साउथ’ के देश भी विकल्प तलाश रहे हैं। यह ‘डी-डॉलराइजेशन’ का मुद्दा नहीं है। देश राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापारिक लेन-देन भी कर रहे हैं। यह काफी समय से हो रहा है।’
‘ग्लोबल साउथ’ से अभिप्राय विकासशील और अल्प विकसित देशों से है।
रवि ने कहा कि ब्रिक्स इस बात को लेकर सहमति बना रहा है कि राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार और परियोजनाएं शुरू करने के लिए वैकल्पिक तंत्र होना कितना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक प्रक्रिया है और हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में इसमें तेजी आएगी।’
ब्रिक्स में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल था। 2024 में समूह का विस्तार करके मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को इसका सदस्य बनाया गया था। 2025 में इंडोनेशिया इसका हिस्सा बना।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद मोदी रक्षा, व्यापार और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर विचार करने के लिए ब्राजील की द्विपक्षीय यात्रा भी करेंगे।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) पी कुमारन ने कहा कि ब्राजील भारत की आकाश वायु रक्षा प्रणाली के साथ-साथ अपतटीय गश्ती जहाजों को हासिल करने में दिलचस्पी रखता है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी संभावित सहयोग की संभावना तलाश सकते हैं।
कुमारन ने कहा कि मोदी की अर्जेंटीना यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण खनिज और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
यात्रा के पहले चरण के तहत मोदी दो से तीन जुलाई को घाना की यात्रा पर रहेंगे। यह प्रधानमंत्री के रूप में उनकी घाना की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी।
यात्रा के दौरान मोदी घाना के राष्ट्रपति के साथ वार्ता करेंगे, जिसमें मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी की समीक्षा की जाएगी और आर्थिक, ऊर्जा एवं रक्षा सहयोग के माध्यम से इसे बढ़ाने के लिए आगे के अवसरों पर चर्चा की जाएगी।
प्रधानमंत्री घाना की संसद को भी संबोधित करेंगे।
घाना के बाद मोदी तीन और चार जुलाई को त्रिनिदाद और टोबैगो की दो दिवसीय यात्रा करेंगे। यह 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली यात्रा होगी।
यात्रा के तीसरे चरण में मोदी चार और पांच जुलाई को अर्जेंटीना में होंगे। इस दौरान वह रक्षा, कृषि, खनन, तेल एवं गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार और निवेश सहित प्रमुख क्षेत्रों में भारत-अर्जेंटीना साझेदारी को और बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति जेवियर मिली के साथ व्यापक वार्ता करेंगे।
अर्जेंटीना के बाद मोदी आठ जुलाई तक ब्राजील की राजकीय यात्रा पर होंगे। यात्रा के अंतिम चरण में वह नामीबिया जाएंगे।
भाषा पारुल संतोष
संतोष