27.3 C
Jaipur
Thursday, August 21, 2025

डांटने का मतलब किसी को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: उच्चतम न्यायालय

Newsडांटने का मतलब किसी को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक छात्र को डांटकर आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोपी शख्स को बरी कर दिया है।

आरोपी, एक स्कूल और एक छात्रावास का प्रभारी था, जिसने एक अन्य छात्र की शिकायत पर दूसरे छात्र को डांटा था जिसने बाद में एक कमरे में फांसी लगा ली।

न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि कोई भी सामान्य व्यक्ति यह नहीं सोच सकता था कि डांटने के कारण ऐसी दुखद घटना घट सकती है।

शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध से शिक्षक को बरी करने से इनकार कर दिया गया था।

पीठ ने कहा, ‘‘पूरे मामले पर विचार करने के बाद, हम इसे हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला पाते हैं। जैसा कि अपीलकर्ता ने सही ढंग से प्रस्तुत किया है, कोई भी सामान्य व्यक्ति यह नहीं सोच सकता कि डांटने के कारण, वह भी एक छात्र की शिकायत के आधार पर, इतनी त्रासदी हो सकती है कि डांटने के कारण छात्र ने खुदकुशी कर ली।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस तरह की डांट-फटकार कम से कम यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि दूसरे छात्र द्वारा की गई शिकायत पर ध्यान दिया जाए और सुधारात्मक उपाय किए जाएं।

व्यक्ति ने अपने वकील के माध्यम से प्रस्तुत किया था कि उसकी प्रतिक्रिया उचित थी और यह केवल एक अभिभावक के रूप में डांट-फटकार थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र गलती को दोबारा न दोहराए और छात्रावास में शांति और सौहार्द बनाए रखे।

उसने प्रस्तुत किया था कि उसके और मृतक छात्र के बीच कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं था।

भाषा वैभव धीरज

धीरज

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles