दाहोद (गुजरात), एक जून (भाषा) गुजरात के पंचायत और कृषि राज्य मंत्री बच्चुभाई खाबड़ के बेटे बलवंत खाबड़ को मनरेगा से संबंधित मामले में रविवार को गिरफ्तार किया गया। उसे मनरेगा कार्यों से जुड़े एक अन्य मामले में कुछ दिन पहले ही जमानत मिली थी। पुलिस ने यह जानकारी दी।
बलवंत और उसके भाई किरण खाबड़ को अप्रैल में उनके खिलाफ दर्ज पहली प्राथमिकी के मामले में 29 मई को जमानत दी गई थी।
पुलिस उपाधीक्षक जगदीशसिंह भंडारी ने बताया कि बलवंत को रविवार को गिरफ्तार किया गया जब दाहोद ‘बी’ संभाग पुलिस ने शनिवार को उसके खिलाफ एक नई प्राथमिकी दर्ज की।
उन्होंने कहा कि 31 मई को दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, खाबड़ की कंपनी को 2022-23 में दाहोद जिले के धनपुर तालुका के भानपुर गांव में मनरेगा के तहत आवंटित कार्य पूरा किए बिना 33.86 लाख रुपये का भुगतान प्राप्त हुआ था।
अप्रैल के बाद से दाहोद पुलिस द्वारा दर्ज की गई यह तीसरी प्राथमिकी है, जब अधिकारियों को पता चला था कि विभिन्न एजेंसियों को भुगतान किया गया था, जबकि उन्होंने वह सामग्री आपूर्ति नहीं की थी जिसके लिए उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत ठेका दिया गया था।
दाहोद ‘बी’ संभाग पुलिस द्वारा 31 मई को दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, बलवंत खबाड़ की कंपनी ‘श्री राज कंस्ट्रक्शन कंपनी, पिपेरो’ ने सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके भानपुर गांव में मनरेगा परियोजना के लिए सामग्री की आपूर्ति किए बिना 33.86 लाख रुपये का भुगतान प्राप्त किया।
इससे पहले 16 मई को बलवंत और किरण दोनों को धोखाधड़ी, जालसाजी और विश्वासघात के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में कुल 71 करोड़ रुपये के कथित मनरेगा घोटाले के संबंध में अप्रैल में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
प्राथमिकी के अनुसार, विभिन्न एजेंसियों ने 2021 और 2024 के बीच सौंपे गए कार्य को पूरा नहीं किया या आवश्यक सामग्री की आपूर्ति नहीं की, बल्कि फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र और जाली दस्तावेज जमा करके भुगतान प्राप्त किया।
पुलिस के अनुसार, बलवंत और किरण दाहोद जिले के देवगढ़ बरिया और धनपुर तालुका में मनरेगा परियोजनाओं में धोखाधड़ी करने वाली एजेंसियों के मालिक हैं।
दोनों को 29 मई को जमानत मिल गई, लेकिन उसी दिन जेल से बाहर आते ही दाहोद पुलिस ने किरण को एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया।
एजेंसी मालिकों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ 29 मई को पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, मनरेगा के तहत दाहोद के लावारिया गांव में अधूरे काम के बावजूद किरण के स्वामित्व वाली एक कंपनी सहित एजेंसियों को 18.41 लाख रुपये का भुगतान किया गया था।
भाषा राखी वैभव
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