गोपेश्वर, एक जून (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल फूलों की घाटी को रविवार से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की रेंज अधिकारी चेतना कांडपाल यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि फूलों की घाटी कहे जाने वाले राष्ट्रीय उद्यान के लिए घांघरिया से 83 पर्यटकों के पहले दल को परमिट जारी कर विधिवत अनुमति दी गई जिनमें से चार पर्यटकों ने ऑनलाइन और 79 पर्यटकों ने सामान्य तरीके से अनुमति ली थी।
फूलों की घाटी बदरीनाथ धाम के पास है जिसके लिए गोविंदघाट कस्बे से पुष्पावती नदी के किनारे भ्यूंडार के रास्ते घांघरिया से जाया जाता है।
हर साल देश-विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। घाटी में तरह-तरह की अनेक प्रजाति की वनस्पतियां और रंग-बिरंगे फूल उगते हैं जिनकी निराली छटा देखते ही बनती है।
वानस्पतिक विविधता को देखते हुए यूनेस्को ने 2005 में इसे विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया था।
पर्यटकों के लिए यह घाटी हर साल जून में खुलती है जो अक्टूबर में हिमपात शुरू होने के बाद बंद कर दी जाती है।
मानसून आगमन के करीब घाटी में फूलों की बहार आने लगती है जो सितंबर तक अपने चरम पर होती है। इस दौरान यहाँ ब्रह्म कमल, ब्लू पॉपी, कोबरा लिली जैसे सैकड़ों प्रजातियों के फूल खिलते हैं जिससे पूरी घाटी एक रंगीन कालीन के रूप में नजर आने लगती है।
फूलों की घाटी तक पहुंचना अपने आप में एक रोमांचक अनुभव है। गोविंदघाट से लगभग 13 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई के बाद आधार शिविर घांघरिया तक पहुंचा जाता है जहां से फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर है।
घाटी के अंदर केवल दिन के समय ही रहने की अनुमति होती है और पर्यटकों को सूर्यास्त से पहले वहां से बाहर आना होता है।
भाषा सं दीप्ति वैभव नेत्रपाल
नेत्रपाल