जम्मू, दो जून (भाषा) आल जम्मू कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस (एजेकेपीसी) ने सोमवार को कहा कि पंचायत चुनाव में देरी के कारण गांव स्तर पर ‘‘लोकतांत्रिक शून्यता’’ की स्थिति पैदा हो गई है। एजेकेपीसी ने केंद्र शासित प्रदेश में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र बहाल करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया।
एजेकेपीसी ने कहा कि निर्वाचित निकायों के भंग होने के एक वर्ष के भीतर पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के चुनाव कराने में विफलता के परिणामस्वरूप धनराशि अवरुद्ध हो गई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है।
एजेकेपीसी अध्यक्ष अनिल शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘चुनाव औपचारिकता नहीं हैं, एक आवश्यकता है। उसके बिना ग्रामीण शासन पंगु हो जाता है और आम आदमी परेशान होता है।’’
तीन मार्च को जम्मू कश्मीर विधानसभा के बजट सत्र को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि सरकार सभी स्तरों पर समय पर चुनाव सुनिश्चित करके पीआरआई और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) प्रतिनिधित्व पर अनुभवजन्य अध्ययन करने के लिए 11 जून, 2023 को स्थापित जम्मू कश्मीर स्थानीय निकाय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 27 फरवरी को सरकार को अपनी अंतिम सिफारिशें सौंपी, जिससे स्थानीय निकाय चुनाव कराने की संभावनाएं बढ़ गईं।
जम्मू कश्मीर में नगर निकाय, पंचायतें और ब्लॉक विकास परिषदें एक साल से अधिक समय से निर्वाचित प्रतिनिधियों के बिना हैं।
नगरपालिकाओं का कार्यकाल अक्टूबर-नवंबर 2023 में समाप्त हो गया, जबकि पंचायतों और बीडीसी ने पिछले साल 9 जनवरी को अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
पंचायत चुनाव कराने में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए शर्मा ने प्रशासन से पंचायत और बीडीसी दोनों चुनावों के लिए स्पष्ट समयसीमा निर्धारित करने का आग्रह किया।
भाषा अमित प्रशांत
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