नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई, जिसमें उसकी मां को बांग्लादेश भेजे जाने के लिए असम पुलिस द्वारा कथित तौर पर अवैध हिरासत में लिए जाने का जिक्र किया गया है।
यूनुस अली (26) ने अपनी मां मोनोवारा बेवा की तत्काल रिहाई की मांग की, जिन्हें कथित तौर पर 24 मई को धुबरी पुलिस थाने में बयान दर्ज कराने के लिए बुलाकर हिरासत में ले लिया गया।
याचिका में हिरासत में ली गई महिला को भारत से बाहर करने पर रोक लगाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
यह मामला न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष आया, जिसने इस पर सुनवाई करने पर सहमति जताई।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि महिला ने पहले उच्चतम न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी, जो अभी भी लंबित है और उसे जमानत भी दी गई थी, लेकिन उसे (देश से) ‘‘बाहर निकाला जा रहा है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे मुख्य मामले के साथ सूचीबद्ध करेंगे। हम इस पर सुनवाई करेंगे।’’
पीठ ने कहा कि अली की याचिका पर लंबित एसएलपी के साथ सुनवाई की जाएगी।
एसएलपी में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसने बेवा को विदेशी घोषित करने वाले विदेश नागरिकों से संबंधित न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा था।
भाषा शफीक सुभाष
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