आजमगढ़ (उप्र), दो जून (भाषा) जमीयत उलमा-ए- हिंद (एएम) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नेपाल से सटे विभिन्न जिलों में मदरसों तथा धार्मिक स्थलों को बंद कराए जाने एवं उनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को मुसलमानों की धार्मिक आजादी पर ‘गंभीर हमला’ करार देते हुए कहा कि अगर सरकार नफरत फैलाने की दिशा में काम कर रही है तो यह बिल्कुल भी उचित नहीं है।
मदनी ने आजमगढ़ के सरायमीर कस्बे में रविवार रात आयोजित ‘मदरसा सुरक्षा सम्मेलन’ में राज्य के नेपाल के सीमावर्ती जिलों में मदरसों, मस्जिदों, मजारों और कब्रिस्तानों के खिलाफ सरकार के निर्देश पर हाल ही में की गई कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार का यह अभियान मुसलमानों की धार्मिक आजादी पर एक गंभीर हमला है। जमीअत उलमा-ए-हिंद इसके खिलाफ कानूनी संघर्ष कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय की रोक के बावजूद उत्तर प्रदेश के उन सभी मुस्लिम बहुल ज़िलों में जिनकी सीमायें नेपाल से मिलती हैं, मदरसों ही नहीं दरगाहों, ईदगाहों और क़ब्रिस्तानों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई धड़ल्ले से जारी है। अब तक सैकड़ों मदरसों को असंवैधानिक घोषित करके सील किया जा चुका है। इसे लेकर मुसलमानों में चिंता और भय का वातावरण है।’
मदनी ने कहा, ‘सरकार का काम है मुल्क में अमन और शांति कायम करना, ना कि नफरत फैलाना। अगर सरकार नफरत फैलाने की दिशा में काम कर रही है तो यह कतई उचित नहीं है।’
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि एक अभियान के तहत नेपाल से सटे बहराइच, श्रावस्ती, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिलों में प्रशासन ने अवैध कब्जे और बिना मान्यता के संचालित होने वाले 200 से ज्यादा मदरसों को बंद करा दिया है और सरकारी जमीन पर बने कई मदरसों, मस्जिदों, मजारों और ईदगाहों को ध्वस्त भी किया गया है।
मदनी ने मदरसा संचालकों से कहा कि कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद ही वे मदरसों का संचालन करें।
आजादी की लड़ाई में मदरसों के योगदान का जिक्र करते हुए मदनी ने कहा, ‘मदरसों में इल्म देने का काम किया जाता है। इस बात का प्रमाण अटल विहारी वाजपेयी सहित कई सरकारों के दौर में मिल चुके हैं। यह बात इतिहास की किताबों में दर्ज है कि अंग्रेज़ों की गुलामी से देश को आज़ाद कराने का संघर्ष उलमा ने ही शुरू किया था। वे उलमा मदरसों की ही पैदावार थे।’
मदनी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा मदरसों के विरुद्ध की गई अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ जमीयत अदालत की शरण में है और सरकार से चाहती है कि वह न्यायालय के आदेश का पालन करे।
उन्होंने मदरसा संचालकों से अनुरोध किया कि वे अपने साथ होने वाली नाइंसाफी के खिलाफ सड़कों पर उतरने के बजाय अदालत का दरवाजा खटखटाएं और अगर मदरसों और मस्जिदों में कुछ कानूनी कमी है तो उन्हें दुरुस्त किया जाए जिससे कि सरकार कार्रवाई न कर सके।
मदनी में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर टिप्पणी करते हुये कहा, ‘‘उस फैसले में दो निर्णय हमारे पक्ष में थे, मगर इसके बावजूद मंदिर निर्माण का फैसला दे दिया गया। फिर भी हम लोगों ने देश की अमन-शांति के लिए उसे मान लिया। जमीयत उलमा-ए-हिंद का उद्देश्य देश में अमन शांति का भाव पैदा करना है।’
भाषा सं सलीम रंजन
रंजन