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Wednesday, July 9, 2025

कृषि अवसंरचना कोष के तहत पैक्स को ऋण सुविधा का विस्तार करें: अमित शाह

Newsकृषि अवसंरचना कोष के तहत पैक्स को ऋण सुविधा का विस्तार करें: अमित शाह

नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के तहत प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को ऋण सुविधा का विस्तार करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया, ताकि उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके।

दुनिया का सबसे बड़ा सहकारी खाद्यान्न भंडारण नेटवर्क बनाने की योजना की समीक्षा करते हुए शाह ने खाद्य भंडारण योजना में पैक्स की व्यापक भागीदारी पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘पैक्स को इस योजना का अभिन्न अंग बनाना आवश्यक है ताकि उनकी वित्तीय व्यवहार्यता और सामाजिक प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके।’’

एक सरकारी बयान के अनुसार, शाह ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को देशभर के गोदामों की राष्ट्रीय स्तर पर मैपिंग करने का निर्देश दिया, ताकि क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार योजना का कार्यान्वयन सुचारू रूप से किया जा सके।

मंत्री ने एफसीआई, राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ), राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राज्य भंडारण निगमों को पैक्स को अधिक से अधिक गोदामों से जोड़ने के निर्देश भी दिए।

बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्यों को अपने स्तर पर अधिक से अधिक पैक्स को इस योजना में शामिल करना चाहिए और एक पूर्ण सहकारी आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए राज्य स्तरीय विपणन संघों को भी इससे जोड़ा जाना चाहिए।

शाह ने सभी संगठनों से इस योजना को समय पर और प्रभावी तरीके से समन्वित और कार्यान्वित करने का आह्वान किया ताकि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘सहकार से समृद्धि’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो।

बैठक में सहकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और मुरलीधर मोहोल के अलावा सहकारिता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, एफसीआई, नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और अन्य संस्थानों के अधिकारी मौजूद थे।

राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस पोर्टल के अनुसार, वर्तमान में भारत में एक लाख से भी अधिक पैक्स हैं।

देशभर में कृषि अवसंरचना के विकास के लिए मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण प्रदान करने के लिए वर्ष 2020 में एआईएफ को शुरू किया गया था। यह योजना शुरू में 10 साल की अवधि (2020-2030) के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन इसे 2032-33 तक बढ़ा दिया गया है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

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