25.2 C
Jaipur
Wednesday, July 30, 2025

सरकार ने लद्दाख के लिए नए आरक्षण, अधिवास नियम अधिसूचित किए

Newsसरकार ने लद्दाख के लिए नए आरक्षण, अधिवास नियम अधिसूचित किए

नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) सरकार ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए नए आरक्षण और अधिवास नियम पेश किए, जिसमें स्थानीय लोगों के लिए 85 प्रतिशत नौकरियां और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदों में कुल सीट की एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।

इस कदम का उद्देश्य स्थानीय हितों की रक्षा करना है, जहां पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को 2019 में हटाए जाने के बाद लद्दाख के लोग अपनी भाषा, संस्कृति और भूमि की रक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

सरकार द्वारा जारी कई अधिसूचनाओं के अनुसार, नौकरियों, स्वायत्त परिषदों और अधिवास में आरक्षण की नीतियों में बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू होंगे।

नए नियमों के तहत, जो लोग केंद्र शासित प्रदेश में 15 साल की अवधि तक निवास कर चुके हैं या सात साल की अवधि तक अध्ययन कर चुके हैं और केंद्र शासित प्रदेश में स्थित किसी शैक्षणिक संस्थान में कक्षा 10वीं या 12वीं की परीक्षा में शामिल हुए हैं, वे केंद्र शासित प्रदेश के तहत किसी भी पद पर या ‘कैंटोनमेंट बोर्ड’ के अलावा किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के तहत नियुक्ति के प्रयोजनों के लिए लद्दाख के मूल निवासी होंगे।

केंद्र सरकार के अधिकारियों, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों, केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और स्वायत्त निकाय के अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वैधानिक निकायों के अधिकारियों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों के अधिकारियों जिन्होंने 10 वर्षों की अवधि तक केंद्र शासित प्रदेश में सेवा की है, उनके बच्चे भी अधिवास के लिए पात्र हैं।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण 10 प्रतिशत बना हुआ है।

एक अन्य अधिसूचना में सरकार ने कहा कि लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद अधिनियम, 1997 के तहत परिषद की कुल सीट में से कम से कम एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी और ऐसी सीट अलग-अलग क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों को बारी-बारी से आवंटित की जा सकती हैं।

लद्दाख के लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए पहली बार जनवरी 2023 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसने लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ उनकी मांगों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए कई बैठकें कीं। अक्टूबर 2024 में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे। उसके बाद तीन दिसंबर 2024 को और फिर इस साल 15 जनवरी और 27 मई को लद्दाख के नागरिक संगठनों के नेताओं के साथ बातचीत की गई।

भाषा

सुरभि वैभव

वैभव

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles