कोलकाता, तीन जून (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 12 वर्ष से अधिक समय से जेल में बंद हत्या के दो विचाराधीन कैदियों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के आधार पर जमानत प्रदान की।
मुन्ना ढाली और नब्बू ढाली तथा दो अन्य पर 2012 में पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के ठाकुरपुकुर थाना क्षेत्र में चार व्यक्तियों की हत्या का आरोप है और वे मामले में सुनवाई पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति शुभ्रा घोष ने 15 मई को दिए गए फैसले में कहा, ‘मामले के गुण-दोष पर विचार किये बिना और केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के आधार पर जमानत की प्रार्थना स्वीकार की जाती है।’
एक अन्य आरोपी राजेश दास को पहले इसी आधार पर जमानत दी गई थी, जबकि अन्य आरोपी सत्तार मंडल को अपराध की गंभीरता और पहले जमानत खारिज किए जाने के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
उन पर छह सितंबर 2012 को ठाकुरपुकुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बीरेन रॉय रोड स्थित एक घर में अपने नियोक्ता दीपक भट्टाचार्य, उनकी मां और दो घरेलू सहायिकाओं की हत्या करने का आरोप है। भट्टाचार्य स्थानीय केबल टीवी व्यवसाय के मालिक थे।
न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि याचिकाकर्ता मुन्ना ढाली और नब्बू ढाली ने 12 साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद पहली बार जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष को इस वर्ष 24 फरवरी से अगले दो महीनों के भीतर पांच और गवाहों से जिरह करनी थी, लेकिन तब से मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है।
न्यायमूर्ति घोष ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को 10,000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत देने पर रिहा किया जाए, जिनमें से एक स्थानीय होना चाहिए।
भाषा नोमान पवनेश
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