पटना, तीन जून (भाषा) बिहार के मंत्री और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने मंगलवार को जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया।
उन्होंने किशोर के उस आरोप पर यह कदम उठाया जिसमें कहा गया था कि चौधरी ने अपनी बेटी के लिए लोकसभा का टिकट हासिल करने के लिए केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को रिश्वत दी थी।
चौधरी ने दीवानी अदालत में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी।
हालांकि, किशोर ने कहा कि उन्हें मामले दर्ज करके डराया नहीं जा सकता।
उनकी बेटी शांभवी समस्तीपुर के आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद हैं।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, ‘‘प्रशांत किशोर द्वारा मेरी बेटी और मेरे खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद, मैंने उन्हें एक कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन उनका जवाब असंतोषजनक था। उन्होंने जो कहा उसके लिए उन्हें स्पष्ट रूप से कोई पछतावा नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैंने कानूनी उपाय का सहारा लिया है। मैं प्रशांत किशोर को चुनौती देता हूं कि वह साबित करें कि मैंने चिराग पासवान को पैसे दिए थे या माफी मांगने के साथ अपने आरोप वापस लें। अगर जरूरत पड़ी तो मैं इस लड़ाई को उच्चतम न्यायालय में ले जाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हूं।’’
पूर्व चुनाव रणनीतिकार किशोर कुछ समय तक जदयू से भी जुड़े रहे थे। चौधरी ने किशोर को ‘‘एक राजनीतिक व्यापारी’’ करार दिया जिसने शुल्क के बदले सभी तरह की पार्टियों को अपनी सेवाएं दी हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रमुख सहयोगी चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘इसके विपरीत, हम पूरी तरह से राजनीति में हैं। मैं खुद दूसरी पीढ़ी का नेता हूं। मेरी बेटी सबसे कम उम्र की सांसद है। प्रशांत किशोर एक दलित लड़की की इस उपलब्धि को पचा नहीं पा रहे हैं।’’
चौधर के पिता दिवंगत महावीर चौधरी कांग्रेस शासित बिहार सरकार में मंत्री थे।
चौधरी द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी दिए जाने के बाद से ही किशोर अपनी बात पर अडिग हैं। किशोर ने कहा, ‘‘मैं कोई माफिया नहीं हूं जिसे मामले दर्ज करके डराया जा सके।’’
जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अशोक चौधरी की बेटी के बारे में मैंने जो कहा है, उसकी चर्चा लंबे समय से पूरे बिहार के गांव-गांव में हो रही है। वह मेरे खिलाफ जितने चाहें उतने मामले दर्ज करा सकते हैं। मैं डरने वाला नहीं हूं। ऐसे राज्य में जहां एक पंचायत का मुखिया भी कम से कम चार बंदूकधारियों के साथ घूमता है, मैं बिना किसी सुरक्षाकर्मी के पैदल यात्रा कर रहा हूं।’’
किशोर ने कहा, ‘‘जब मैंने कोई गलत काम नहीं किया है तो मुझे चिंता क्यों करनी चाहिए? इस सरकार ने 20 पुलिस थानों से पुलिसकर्मियों को तैनात करके मुझे रात के अंधेरे में उठा लिया था। लेकिन उन्हें मुझे छोड़ना पड़ा।’’
किशोर ने जनवरी में अपनी गिरफ्तारी का जिक्र किया जब वह बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित एक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों के समर्थन में आमरण अनशन पर थे।
भाषा संतोष माधव
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