सियोल, चार जून (एपी) कई महीनों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद तनावपूर्ण माहौल में चुनाव जीतने वाले दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्यांग ने अपनी जीत को देश में उस संकट के बाद सामान्य स्थिति की ओर वापसी की शुरुआत बताया जो दिसंबर में तत्कालीन रूढ़िवादी नेता यून सुक येओल द्वारा ‘मार्शल लॉ’ लागू किए जाने के बाद उत्पन्न हुआ था।
मुखर उदारवादी नेता ली ने राष्ट्रपति के रूप में बुधवार को तत्काल पदभार ग्रहण कर लिया लेकिन उन्होंने ऐसे समय में कमान संभाली है जब उनका देश अत्यंत चुनौतीपूर्ण समय से जूझ रहा है। दक्षिण कोरिया महीनों के राजनीतिक गतिरोध से त्रस्त अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुल्क वृद्धि के फैसले ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
ली ने अपने कार्यकाल के शुरुआती भाषण में अर्थव्यवस्था को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया तथा मंदी के मंडराते खतरे के खिलाफ ‘‘सीधी लड़ाई’’ छेड़ने और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के वास्ते सरकारी खर्च बढ़ाने के लिए तत्काल एक आपातकालीन कार्यबल गठित करने का संकल्प लिया।
शुल्क पर ट्रंप द्वारा लगाई गई 90-दिवसीय रोक नौ जुलाई को समाप्त होने वाली है। ऐसे में ली के पास ट्रंप के साथ इस संबंध में बातचीत करने का अधिक समय नहीं है। ट्रंप की शुल्क नीति के कारण दक्षिण कोरियाई उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर की दर लागू हो सकती है।
उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षाओं के कारण बढ़ते खतरे भी ली को यून से विरासत में मिले हैं। उत्तर कोरिया और रूस के मजबूत होते संबंधों ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है।
ली ने अपने भाषण में तनाव कम करने के लिए उत्तर कोरिया के साथ संचार माध्यम पुनः खोलने की बात की लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत के शीघ्र पुनः आरंभ होने की संभावनाएं कम हैं। उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के वार्ता प्रस्तावों को 2019 से लगातार अस्वीकार करता आ रहा है। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच वार्ता आर्थिक प्रतिबंधों पर असहमति के कारण 2019 में विफल हो गई थी।
चुनाव प्रचार के दौरान ली ने स्वीकार किया था कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ निकट भविष्य में शिखर वार्ता आयोजित करना ‘‘बहुत कठिन’’ होगा लेकिन वह इसके लिए कोशिश करना चाहेंगे।
ली पर पहले उनके आलोचकों ने उत्तर कोरिया एवं चीन की ओर झुकाव और अमेरिका एवं जापान से दूरी रखने का आरोप लगाया था। उन्होंने एक बार दक्षिण कोरिया में अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली को तनाव का स्रोत बताया था और अमेरिका-जापान संबंधों को मजबूत करने की तुलना 1905 के वाशिंगटन-टोक्यो समझौते से की थी और कहा था कि इस समझौते से जापान को कोरियाई प्रायद्वीप पर उपनिवेश बनाने में मदद मिली।
बहरहाल, ली ने हाल में इस तरह की कोई विवादास्पद टिप्पणी करने से परहेज किया है। इसके बजाय वह व्यावहारिक कूटनीति को आगे बढ़ाने की बात बार-बार कर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका के साथ दक्षिण कोरिया के गठबंधन और जापान के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ाने का संकल्प लिया तथा उत्तर कोरिया के साथ तनाव कम करने और चीन एवं रूस के साथ टकराव से बचने की आवश्यकता पर भी बल दिया है।
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सिम्मी नरेश
नरेश