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Tuesday, July 29, 2025

पाकिस्तान समस्या का समाधान सेना नहीं, समग्र दृष्टिकोण है: पूर्व उच्चायुक्त राघवन

Newsपाकिस्तान समस्या का समाधान सेना नहीं, समग्र दृष्टिकोण है: पूर्व उच्चायुक्त राघवन

नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके टी सी ए राघवन ने दोनों देशों के बीच तनाव के मद्देनजर कहा कि इस समस्या का कोई सैन्य समाधान नहीं है तथा इसके लिए एक अधिक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें कूटनीतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक साधनों सहित भारत की पूरी ताकत का लाभ उठाया जा सके।

राघवन ने मंगलवार को ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मद्देनजर भारत-पाकिस्तान संबंध’ विषय पर अपने विचार रखते समय इस बात पर जोर दिया कि भारत का वास्तविक प्रभाव उसकी आर्थिक जीवंतता, सामाजिक बहुलवाद, संस्थागत लचीलेपन और सांस्कृतिक पहुंच में निहित है, न कि केवल उसकी सैन्य शक्ति में।

पाकिस्तान में सात साल तक सेवा देने वाले पूर्व राजनयिक ने कहा कि दरअसल पाकिस्तानी सेना भारत की सैन्य शक्ति से खतरा महसूस नहीं करती, बल्कि वह ‘‘उसके सामने खड़ा होना चाहती है’’।

उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तानियों को आपकी सेना की चिंता नहीं है, बल्कि एक राष्ट्र के रूप में आपकी समग्र प्रगति – आपकी आर्थिक वृद्धि, आपकी सामाजिक प्रगति, आपके समाज की बहुलता और आपकी संस्थाओं की ताकत उसकी चिंता है। यही वह चीज है जिससे वे वास्तव में डरते हैं… कोई सैन्य समाधान नहीं है, आपको अपनी पूरी ताकत लगानी होगी।’’

राघवन ने कहा, ‘‘वास्तविक अर्थों में आपकी ताकत बहुत बड़ी है…. वास्तव में आपका सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से आधिपत्य पाकिस्तान की चिंता है। इसलिए अगर हम पूरी तरह से सुरक्षा आधारित संबंध की ओर बढ़ते हैं तो यह सब एक तरफ रह जाएगा। आपको पाकिस्तान से केवल दो, तीन या पांच साल के लिए ही नहीं, बल्कि बहुत लंबे समय के लिए निपटना है तथा यह देखते हुए आपको अधिक व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है।’’

पूर्व राजनयिक ने इस बात को रेखांकित किया कि पाकिस्तान के साथ स्थिति महज एक ‘‘सामरिक या सैन्य मुद्दा’’ नहीं है।

राघवन (69) ने जोर देकर कहा कि आज मुख्य चुनौती यह है कि ‘‘एक कार्यशील द्विपक्षीय संबंध की अनुपस्थिति में उस पड़ोसी के साथ अस्थिर एवं टकराव वाली स्थिति का प्रबंधन कैसे किया जाए जिससे निपटना मुश्किल है।’’

उन्होंने कहा कि ये संबंध 2017-18 से ‘‘उत्तरोत्तर खोखले’’ हो रहे हैं।

राघवन ने कहा कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने का हालिया निर्णय दर्शाता है कि मेज पर कितने कम राजनयिक विकल्प बचे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बार, एक तरह से आपके पास आईडब्ल्यूटी को स्थगित करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था। बाकी जो कुछ भी किया जा सकता था, वह पहले ही किया जा चुका है। रिश्ते का कोई और ऐसा आधार नहीं था जिसे आप पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिबंध के तौर पर इस्तेमाल कर सकते थे। अलमारी खाली है।’’

भारत के ‘‘बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते’’ के रुख का जिक्र करते हुए राघवन ने कहा कि हालांकि यह सिद्धांत वैध है, लेकिन इसका कठोर इस्तेमाल कूटनीतिक लचीलेपन को सीमित कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ ‘बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते’ का वास्तव में यही मतलब है लेकिन इस प्रक्रिया में आप व्यवहार के विभिन्न पहलुओं के बीच अंतर करने की क्षमता खो रहे हैं।’’

राघवन ने ऐसी अधिक संतुलित नीति की वकालत की, जिसके तहत ‘‘आपको पड़ोसियों के साथ वैसे ही व्यवहार करना होगा जैसे वे हैं, न कि जैसा आप चाहते हैं कि वे हों।’’

भाषा सिम्मी नेत्रपाल

नेत्रपाल

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