नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने सभी डिग्री प्रमाणपत्रों और अकादमिक रिकॉर्ड में विश्वविद्यालय के ‘वाइस चांसलर’ के लिए ‘कुलपति’ की जगह ‘कुलगुरु’ पदनाम के उल्लेख वाले फैसले की बुधवार को आलोचना की और इसे ‘प्रतीकात्मक कदम’ करार देते हुए कहा कि इससे विश्वविद्यालय की ‘संस्थागत कमियां’ दूर नहीं होंगी।
बुधवार को जारी एक बयान में, जेएनयूएसयू ने प्रशासन पर ‘काम से ज़्यादा दिखावा’ करने का आरोप लगाया और लैंगिक न्याय, समावेशिता व लोकतांत्रिक तौर तरीकों से जुड़े मुद्दों पर तत्काल सुधार की मांग की।
बयान में कहा गया है, ‘हम लैंगिक तटस्थता की दिशा में एक कदम के रूप में पदनाम में बदलाव की आपकी ज़रूरत को समझते हैं। लेकिन सिर्फ प्रतीकात्मक कदम लैंगिक न्याय सुनिश्चित नहीं कर सकते; मौलिक परिवर्तन के लिए संस्थागत सुधारों की जरूरत है।’
अप्रैल में जेएनयू की कार्यकारी परिषद ने ‘कुलपति’ की जगह ‘कुलगुरु’ शब्द के इस्तेमाल का प्रस्ताव पारित किया था और परीक्षा नियंत्रक ने इसे लागू कर दिया।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार, नया शब्द सांस्कृतिक रूप से अच्छा और लैंगिक रूप से तटस्थ है तथा राजस्थान और मध्य प्रदेश में पहले ही इस शब्द का इस्तेमाल शुरू हो चुका है।
भाषा जोहेब पवनेश
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