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Tuesday, August 19, 2025

पराग्वे के राष्ट्रपति भारत-मर्कोसुर व्यापार समझौते का विस्तार करने के पक्षधर

Newsपराग्वे के राष्ट्रपति भारत-मर्कोसुर व्यापार समझौते का विस्तार करने के पक्षधर

मुंबई, चार जून (भाषा) पराग्वे के राष्ट्रपति सेंटियागो पेना पालासिओस ने बुधवार को कहा कि उन्हें भारत और मर्कोसुर समूह के बीच व्यापार समझौते का विस्तार होने की उम्मीद है।

पालासिओस ने यहां ‘आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और पराग्वे दोनों को एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखना है।

दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे भी चार देशों के समूह मर्कोसुर का सदस्य है। इसके अन्य सदस्यों में ब्राजील, अर्जेंटीना और उरुग्वे शामिल हैं।

भारत की तीन-दिवसीय यात्रा पर आए पालासिओस ने कहा, ‘‘हम बहुत उत्साहित हैं और उम्मीद करते हैं कि हम भारत और मर्कोसुर के बीच मुक्त व्यापार समझौते के विस्तार को लेकर बातचीत फिर से शुरू कर सकते हैं।’’

उन्होंने इस समझौते को भारतीय कंपनियों के लिए एक अच्छा अवसर बताते हुए कहा कि पैराग्वे दक्षिण अमेरिका में उनके प्रवेश के लिए एक द्वार या प्रवेश द्वार के रूप में कार्य कर सकता है।

भारत और मर्कोसुर समूह के बीच वर्ष 2009 से ही मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) लागू है। इस समझौते का विस्तार करने के प्रयास किए गए हैं। हालांकि तरजीही व्यापार समझौते का दायरा बढ़ाने के प्रयास बहुत आगे नहीं बढ़ पाए हैं।

इसे ध्यान में रखते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सुझाव दिया था कि भारत और मर्कोसुर समूह के चारों सदस्य देश द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

पराग्वे के राष्ट्रपति ने कहा कि उनके देश में अधिकांश निवेश घरेलू स्तर पर ही आते हैं और बहुत कम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है।

उन्होंने कहा कि उनका देश स्थिर आर्थिक नीतियां प्रदान करता है और कुछ अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों के विपरीत यहां पर कोई वैचारिक बदलाव भी नहीं देखा गया है।

उन्होंने कहा कि भारत की तरह पराग्वे में भी बहुत युवा आबादी है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और पराग्वे शिक्षा के क्षेत्र में एक साथ काम कर सकते हैं।

मंगलवार को नई दिल्ली से वित्तीय राजधानी (मुंबई) पहुंचे पालासिओस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और व्यापार जगत की प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की।

उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात की थी।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

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