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Thursday, July 10, 2025

जिस राह पर किरोडीलाल मीणा चलकर लौट गए, अब उसी रास्ते पर हनुमान बेनीवाल क्या ढूंढ रहे हैं?

Newsजिस राह पर किरोडीलाल मीणा चलकर लौट गए, अब उसी रास्ते पर हनुमान बेनीवाल क्या ढूंढ रहे हैं?

 

राजस्थान में सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती-2021 रद्द करने की मांग महज सियासत बनकर रह गई हैं. कांग्रेस के राज में पेपर लीक के मुद्दे को भुनाकर सत्ता में आने वाली बीजेपी ने इसे गंभीरता से लेना छोड़ दिया है. महज कैबिनेट सब-कमेटी गठित करने की औपचारिकता के बाद अब इसे टालने की कोशिश ही नजर आती है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने बार-बार तारीखें मांगी और सुनवाई को टालने के लिए समय मांगा. बरहाल, कोर्ट पर अभ्यर्थियों की निगाहें टिकीं हुई है. इस बीच आंदोलन वाली सियासत पर भी बात होनी चाहिए. जयपुर के शहीद स्मारक में कभी चौपाल तो कभी रैली की शक्ल में धरना दे रहे हनुमान बेनीवाल को नौजवानों घेरकर बैठे हुए हैं. एसआई भर्ती पर बोलते-बोलते वो राजपूत समाज और कारगिल जैसे विवादित बयान भी देते नजर आ रहे हैं. जब रैली के आयोजन की बात हुई तो जिलेवार प्रभारी भी नियुक्त किए. दरअसल, इस बात की गहराई को वो बखूबी जानते हैं कि युवाओं का यह मुद्दा उन्हें ऑक्सीजन दे सकता है. वो ऑक्सीजन, जिसकी तलाश उन्हें काफी समय से हैं, क्योंकि विधानसभा चुनाव हारने के बाद उपचुनाव में भी उन्हें झटका लगा.

जब पायलट ने कहा था- “नौजवानों के पैरों के छालों की कसम…”

पेपर लीक के मामले की बात हो या आरपीएससी पुनर्गठन की, शुरूआत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के आंदोलन से हुई थी. जब उन्होंने इसी मुद्दे के जरिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेरा और पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए. पायलट ने तब कहा था कि नौजवानों के पैरों के छालों की कसम पीछे नहीं हटूंगा. उन्होंने मुद्दा तो जोर-शोर से उठाया, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. पायलट ने युवाओं के हितों की बात तो की, मगर उनकी मांगें अधूरी रही. सत्ता बदलने के बाद बीजेपी सरकार में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने भी इस भर्ती को रद्द करने की मांग उठाई. उन्होंने डेढ़ साल तक अपनी ही सरकार पर दबाव बनाया, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं होने पर वह भी चुप ही हो गए.

बीजेपी सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप

अब नागौर सांसद और रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल भी उसी राह पर है. उन्होंने भजनलाल सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और आरपीएससी के पुनर्गठन की मांग की. बेनीवाल ने पायलट पर भी तंज कसा, उन्हें “एयर कंडीशनर नेता” कहकर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए. यह मुद्दा अब हाईकोर्ट में भी है, जहां सरकार को जवाब देना है. बेनीवाल की रैलियां और धरने ने दबाव बढ़ाया है, लेकिन सरकार की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है. नागौर सांसद ने बीजेपी और कांग्रेस पर मिलीभगत के आरोप भी खूब लगाए.

क्या है बेनीवाल की रैली का गहलोत कनेक्शन?

इस रैली की टाइमिंग पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं. क्योंकि 25 अप्रैल को पूर्व कैबिनेट मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी के अगले दिन ही 26 अप्रैल को हनुमान बेनीवाल ने धरना शुरू कर दिया था. कहा जा रहा है कि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थन हो सकता है. दूसरी ओर, जब 15 मई तक बेनीवाल के धरने को जनसमर्थन मिलता नहीं दिखा तो उन्होंने ध्यान खींचने के लिए विवादित टिप्पणी भी दे डाली. पिछले महीने 16 मई को धरनास्थल से राजपूत समाज पर कमेंट कर दिए, जिसके बाद वार-पलटवार का सिलसिला भी शुरू हो गया. जब क्षत्रिय करणी सेना के राज सिंह शेखावत ने 8 जून को नागौर चलो का ऐलान किया तो गहलोत के करीबी संदीप चौधरी ने बेनीवाल के समर्थन में खड़े होने की भी बात कही. 20 मई को धर्मेंद्र राठौड़ का शहीद स्मारक धरना स्थल पर पहुंचने जैसी बातें भी अशोक गहलोत की तरफ इशारा कर रही है.

 

-कुमार

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