(तस्वीर के साथ)
मुंबई, छह जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने महंगाई दर के अनुमान को चार प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि जिंसों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी के साथ मुख्य मुद्रास्फीति नरम बनी रहेगी।
चार प्रतिशत से कम औसत खुदरा मुद्रास्फीति का यह अनुमान हाल के वर्षों में सबसे कम है।
केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि अनुकूल पूर्वानुमान के बावजूद, वह मौसम संबंधी अनिश्चितताओं और वैश्विक स्तर पर जिंस की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ शुल्क संबंधी चिंताओं को लेकर सतर्क रहेगा।
अप्रैल में अपनी मौद्रिक नीति घोषणा में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा मुद्रास्फीति के औसतन चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि सामान्य मानसून के मद्देनजर वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के अब 3.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। इसके अप्रैल-जून तिमाही में 2.9 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.4 प्रतिशत, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 3.9 प्रतिशत और जनवरी-मार्च तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 3.16 प्रतिशत पर आ गई है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है।
आरबीआई ने कहा कि मुद्रास्फीति का यह अनुमान सभी प्रमुख चीजों में कीमतों के अनुकूल रहने की ओर इशारा करता है।
रबी फसल के मौसम में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के उच्च उत्पादन से प्रमुख खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होनी चाहिए। भविष्य में सामान्य से बेहतर मानसून और इसके जल्दी आने की संभावना खरीफ फसल की संभावनाओं के लिए अच्छे संकेत है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘… अधिकतर अनुमान कच्चे तेल सहित प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में निरंतर नरमी की ओर इशारा करते हैं।’’
आरबीआई को सरकार ने मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने लक्ष्य दिया है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल, 2025 तक लगातार तीन माह चार प्रतिशत की सीमा से नीचे रही है।
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए प्रमुख नीतिगत दर रेपो को भी 0.5 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया।
भाषा निहारिका अजय
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