(दीपा भरत)
वाशिंगटन, छह जून (एपी) बच्चों के कॉमिक्स जगत में नस्ल, धर्म और संप्रदायों के भेदभाव को समाप्त करने वाली विषय वस्तु अब धीरे धीरे केंद्र में आ रही है।
“कैप्टन अमेरिका के दाढ़ी नहीं है, पगड़ी नहीं पहनता है, और वह गोरा है।”
विश्वजीत सिंह ने उस लड़के की ओर देखा जिसने ये शब्द कहे थे, और फिर उन्होंने अपनी ओर देखा – एक दुबला-पतला, चश्मा लगाए, पगड़ी पहने, दाढ़ी वाले सिख व्यक्ति ने कैप्टन अमेरिका की पोशाक पहन रखी थी।
सिंह ने कहा, “मुझे बुरा नहीं लगा, क्योंकि मैं जानता था कि इस बच्चे के दिमाग में हमेशा के लिए मेरी, एक सिख कैप्टन अमेरिका की, छवि बनी रहेगी। इस छवि में इतनी शक्ति है कि यह इस बारे में चर्चा शुरू कर देती है कि अमेरिकी होने का क्या मतलब है।”
गैर-अब्राहमिक धर्मों और आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व, विशेष रूप से मुख्यधारा की कॉमिक्स दुनिया में, न्यूनतम है। यहां तक कि जब उन्हें कॉमिक्स में चित्रित किया जाता है, तो उनकी प्रस्तुति, जैसा कि सिंह और इस क्षेत्र के अन्य लोग बताते हैं, अक्सर अप्रामाणिक और कभी-कभी नकारात्मक होती है।
हालांकि, हाल ही में, कॉमिक पुस्तक लेखकों और शिक्षाविदों ने जो धर्म और कॉमिक्स के अंतरसंबंध का अध्ययन करते हैं, एक प्रकार का पुनर्जागरण देखा है, जिसके बारे में उनका कहना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इन धार्मिक परंपराओं से जुड़े लोग इन कहानियों को श्रद्धा और ईमानदारी के साथ कह रहे हैं, जो व्यापक दर्शकों के साथ जुड़ रही हैं।
एक सिख सुपर हीरो का संदेश
सिंह की यह यात्रा 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद शुरू हुई, जिसके बाद सिख विरोधी घृणा की घटनाएं भड़क उठीं। जीवन भर घृणा और बहिष्कार का सामना करने के बाद, उन्होंने कॉमिक्स और सुपर हीरो के आकर्षण का लाभ उठाकर दयालुता और समावेश का अपना संदेश फैलाने का फैसला किया – एक ऐसा क्षेत्र जहां उन्होंने पाया कि सिख प्रतिनिधित्व “वस्तुतः शून्य” था।
उन्होंने 2013 की गर्मियों में पहली बार मैनहट्टन में कैप्टन सिख अमेरिका की पोशाक पहनी थी।
कैप्टन सिख अमेरिका को लेकर न्यूयॉर्क के लोगों की प्रतिक्रिया खुशियों से भरी थी। सिंह ने कहा, “अजनबी लोग मेरे पास आए और मुझे गले लगाया। पुलिस अधिकारी मेरे साथ तस्वीरें लेना चाहते थे। एक जोड़ा चाहता था कि मैं उनके विवाह समारोह का हिस्सा बनूं। मुझे लगा कि मेरे पास एक ऐसा विशेषाधिकार है जो मुझे पहले कभी नहीं मिला था।”
सिंह ने 2016 में अपनी पूर्णकालिक नौकरी छोड़ दी और देश भर के स्कूलों, सरकारी एजेंसियों और निगमों में जाकर अपनी कहानी साझा की तथा युवाओं को अपनी संस्कृति और आस्था के बारे में शिक्षित किया।
उन्होंने कहा, “मैं समानता, न्याय और सृष्टि के प्रत्येक कण में विद्यमान सार्वभौमिक प्रकाश की बात करता हूं।”
भारत में कॉमिक्स का पुनर्जागरण
अमर चित्र कथा एक कॉमिक बुक कंपनी थी जिसे स्वर्गीय अनंत पई ने 1967 में मुंबई में भारतीय बच्चों को उनकी अपनी पौराणिक कथाओं और संस्कृति के बारे में सिखाने के लिए शुरू किया था। इसका पहला शीर्षक ‘कृष्ण’ था, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता और धर्म के प्रमुख पवित्र ग्रंथों में से एक भगवद गीता का नायक है।
कंपनी की प्रबंध निदेशक और इस व्यवसाय में 35 वर्षों का अनुभव रखने वाली रीना आई पुरी ने बताया कि पई एक इंजीनियर थे, जो बाद में कॉमिक पुस्तकों के विक्रेता बन गए। उन्होंने विभिन्न विपणन तकनीकों का प्रयोग किया, जिसमें अपने थैले में तख्ते, कीलें और हथौड़े लेकर घूमना भी शामिल था ताकि वे उन पुस्तक दुकानों के लिए अलमारियां बना सकें, जो उनकी कॉमिक्स को प्रदर्शित करने से इसलिए मना कर देती थीं, क्योंकि उनके पास शेल्फ पर जगह की कमी होती थी।
पाई ने हिंदू पौराणिक कथाओं और देवताओं से शुरुआत की, लेकिन जल्द ही अन्य धर्मों तक भी पहुंच गए, उन्होंने “जीसस क्राइस्ट” नामक एक विश्वव्यापी सफल कॉमिक जारी की और बुद्ध, सिख गुरुओं और महावीर, जिन्होंने जैन धर्म की स्थापना की, के बारे में अन्य कॉमिक्स भी जारी कीं। बाद में ऐतिहासिक हस्तियों और लोककथाओं के बारे में धर्मनिरपेक्ष कॉमिक्स भी आईं।
कॉमिक्स में अफ्रीकी धर्म
पेंसिल्वेनिया के स्वार्थमोर कॉलेज में धार्मिक मामलों की प्रोफेसर यवोन चिरेउ के अनुसार मार्वल की ब्लैक पैंथर ने अमेरिका में अफ्रीकी धर्मों के बेहतर प्रतिनिधित्व की शुरुआत की है। हालाँकि, ब्लैक पैंथर या अन्य कॉमिक्स में जो कुछ देखा जाता है वह विभिन्न अफ्रीकी धर्मों और सांस्कृतिक प्रथाओं का संश्लेषण है।
वह कहती हैं कि उदाहरण के लिए एक पृष्ठ पर ओरिशा के बारे में बात हो सकती है जो दिव्य आत्माएं हैं और पश्चिम अफ्रीका के योरूबा धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जबकि दूसरे पृष्ठ पर मिस्र के देवताओं का वर्णन हो सकता है।
ब्रुकलिन में जन्मे हैतीयन अमेरिकी कॉमिक बुक लेखक ग्रेग एंडरसन एलिसी का कहना था कि हमें अश्वेत पौराणिक कथाओं, देवताओं और आध्यात्मिकता को यूरोपीय परी कथाओं और ग्रीक पौराणिक कथाओं के समान सम्मान के साथ प्रदर्शित होते हुए दिखाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने समारोहों और अनुष्ठानों में जाना शुरू किया, तो मैंने देखा कि इसमें कितनी शक्ति है। जब हम जानते हैं कि हम कौन हैं – चाहे आप धर्म में विश्वास करते हों या नहीं – यह आपको खुशी, उद्देश्य और पहचान की भावना से भर देता है।’’
एपी प्रशांत नरेश
नरेश
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