29.2 C
Jaipur
Saturday, July 26, 2025

बांग्लादेश का चुनाव वर्ष 2026 के अप्रैल में कराने की घोषणा से लोग निराश: बीएनपी

Newsबांग्लादेश का चुनाव वर्ष 2026 के अप्रैल में कराने की घोषणा से लोग निराश: बीएनपी

ढाका, सात जून (भाषा) बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने शनिवार को कहा कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की ओर से वर्ष 2026 के अप्रैल में चुनाव कराने की घोषणा से लोग ‘निराश’ हुए हैं। उन्होंने इस साल दिसंबर तक चुनाव कराने की पार्टी की मांग दोहराई।

‘ढाका ट्रिब्यून’ ने एक बयान में पार्टी के हवाले से कहा, ‘‘लोगों की जीत जुलाई के विद्रोह के दौरान छात्रों और जनता द्वारा किए गए अपार बलिदानों के माध्यम से हासिल हुई थी। लेकिन चुनाव की व्यवस्था में अनुचित देरी ने लोगों को निराश और आक्रोशित किया है।’’

बयान में कहा गया है कि बीएनपी की राष्ट्रीय स्थायी समिति ने एक आपातकालीन ‘वर्चुअल’ (आभासी) बैठक में रमजान, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक या समकक्ष परीक्षाओं और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस साल दिसंबर तक चुनाव कराने के अपने प्रस्ताव को दोहराया।

बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान की अध्यक्षता में बैठक मुख्य सलाहकार की घोषणा के बाद बुलाई गई थी, जिसमें लंबे संघर्षों के माध्यम से मतदान के अपने अधिकार को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहे राष्ट्र की आकांक्षाओं को कथित तौर पर नजरअंदाज किया गया है।

इसमें कहा गया, ‘‘लगभग डेढ़ दशक से अपने बुनियादी मताधिकार से वंचित इस देश के लोगों ने गायब होने, हत्या किए जाने, कैद किए जाने, घायल होने और प्रताड़ित किए जाने के बावजूद मतदान के माध्यम से लोकतंत्र को बहाल करने के लिए अपना संघर्ष जारी रखा है।’’

बीएनपी की स्थायी समिति ने पाया कि अप्रैल की शुरुआत में चुनाव कराने से जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि प्रतिकूल मौसम की स्थिति और रमजान के दौरान अभियान और चुनाव संबंधी गतिविधियों के संचालन की चुनौतियां भी होंगी, जिसका इस्तेमाल अंततः चुनाव स्थगित करने के लिए किया जा सकता है।

इसने कहा कि मुख्य सलाहकार के संबोधन में इस बात का कोई स्पष्ट औचित्य नहीं बताया गया कि दिसंबर तक चुनाव कराना क्यों व्यावहारिक नहीं हैं।

यूनुस की यह घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी और कई अन्य समूहों द्वारा दिसंबर तक चुनाव कराने के को लेकर बढ़ाए गए दबाव के बीच आई है।

हालांकि, छात्र नेतृत्व वाली एनसीपी और कई दक्षिणपंथी समूहों ने कहा कि चुनावों का तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि ‘सुधार’ और ‘न्याय’ से जुड़ा काम पूरा नहीं हो जाता।

भाषा संतोष मनीषा

मनीषा

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles