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Saturday, August 2, 2025

महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनावों में ‘लोकतंत्र की हत्या’ की गयी : चेन्निथला

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मुंबई, सात जून (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने शनिवार को दावा किया कि 2024 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में ‘लोकतंत्र की हत्या” कर दी गयी।

वह लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में अखबार में प्रकाशित एक लेख का हवाला दे रहे थे, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव “लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट” था। लेख में उन्होंने कहा है कि यह “मैच फिक्सिंग” अब बिहार में भी दोहराई जाएगी और फिर उन जगहों पर भी ऐसा ही किया जाएगा, जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हार रही होगी।

चेन्निथला ने एक बयान में कहा, “अकाट्य तथ्यों और अडिग स्पष्टता के साथ, राहुल गांधी ने एक भयावह सत्य को उजागर किया है: महाराष्ट्र में लोगों के जनादेश का अपहरण कर लिया गया था – मतदाताओं की इच्छा से नहीं, बल्कि हेरफेर, धोखे और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर एक व्यवस्थित हमले के माध्यम से।”

कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना (उबाठा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) वाले ‘महा विकास आघाडी’ (एमवीए) ने पिछले साल के लोकसभा चुनावों में “मोदी लहर” को चुनौती दी थी, जिसमें राज्य के लोग “प्रचार और दबाव के खिलाफ खड़े हुए थे, और एक निर्णायक फैसला दिया, जिसने भाजपा गठबंधन को हिलाकर रख दिया।”

एमवीए ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 48 में से 30 सीट जीती थीं।

चेन्निथला ने कहा, “महाराष्ट्र में भाजपा की हार और उत्तर प्रदेश में उसका खराब प्रदर्शन उसे राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण बहुमत हासिल करने से रोकने में महत्वपूर्ण रहा।”

उन्होंने कहा कि छह महीने बाद हुए राज्य चुनावों में एमवीए, “जो 170 से अधिक सीट जीतने की ओर अग्रसर था, केवल 50 सीट पर सिमट गया”।

विधानसभा चुनावों में एमवीए को 288 सीट में से 46 सीट मिलीं, जबकि भाजपा, राकांपा और शिवसेना के महायुति गठबंधन को कुल मिलाकर 230 सीट मिलीं।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का ‘शक्तिशाली खुलासा’ महज एक लेख नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है।

उन्होंने कहा, “लेख यह उजागर करता है कि महाराष्ट्र, जो कभी लोकतांत्रिक मूल्यों का गौरवशाली ध्वजवाहक रहा है, आज एक चेतावनी बन गया है कि कैसे संस्थाओं को कमजोर किया जा सकता है, कैसे सत्ता अर्जित करने के बजाय छीनी जा सकती है, और कैसे चुप्पी भी सहभागी बन जाती है।”

उन्होंने कहा कि अब यह एक राज्य या एक चुनाव के बारे में नहीं है, यह ‘हमारे लोकतंत्र’ की आत्मा के बारे में है।

भाषा

प्रशांत दिलीप

दिलीप

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