वेटिकन सिटी, आठ जून (एपी) कैथोलिक ईसाई धर्म के सर्वोच्च नेता पोप लियो 14वें ने रविवार को मेल-मिलाप और संवाद के लिए प्रार्थना की। इसके साथ ही उन्होंने विश्व में राष्ट्रवादी राजनीतिक आंदोलनों के उभार की भी आलोचना की।
पोप का यह संदेश कैथोलिक चर्च को शांति का प्रतीक बनाने के उनके संकल्पों के अनुरूप है।
पोप ने हजारों श्रद्धालुओं के सामने सेंट पीटर्स स्क्वायर में रविवार को सामूहिक प्रार्थना की और पवित्र आत्माओं से ‘‘बाधाओं को तोड़ने, उदासीनता और घृणा की दीवारों को गिराने’’ का आह्वान किया।
अमेरिकी मूल के पहले पोप लियो-14वें ने कहा, ‘‘जहां प्रेम है, वहां पूर्वाग्रह के लिए, हमें अपने पड़ोसियों से अलग करने वाले सुरक्षा क्षेत्रों के लिए, बहिष्कार की मानसिकता के लिए कोई स्थान नहीं है, जिसे, दुर्भाग्य से, हम अब राजनीतिक राष्ट्रवाद में भी उभरते हुए देख रहे हैं।’’
उन्होंने हालांकि, किसी विशिष्ट देश या नेता का नाम नहीं लिया।
लियो ने दिवंगत पोप फ्रांसिस के शब्दों को भी याद किया, जिन्होंने मई 2023 में पेंटेकोस्ट (ईस्टर पर्व के बाद 49वां दिन, इस दिन ईसाई मतावलंबी छुट्टी मनाते हैं) के मौके पर कहा था कि हमारी दुनिया में ‘हम सभी जुड़े हुए हैं, फिर भी हम खुद को एक-दूसरे से अलग पाते हैं, उदासीनता से सुन्न हो जाते हैं और एकांत से अभिभूत हो जाते हैं।’’
पोप ने युद्धों की निंदा करते हुए कहा कि ‘‘ये हमारी दुनिया को त्रस्त कर रहे हैं और पवित्र आत्मा से ‘‘शांति का उपहार’’ मांगा। उन्होंने कहा,‘‘सबसे पहले, हमारे दिलों में शांति की जरूरत है क्योंकि केवल एक शांतिपूर्ण दिल ही परिवार, समाज और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शांति फैला सकता है।
पोप लियो-14वें ने दुनिया में भी जहां युद्ध हो रहा है वहां के लिए मेल-मिलाप और संवाद के लिए प्रार्थना की।
एपी धीरज रंजन
रंजन