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Saturday, August 2, 2025

राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथी प्रत्याशी का समर्थन करने के बाद से ईरानी रैपर की मुश्किलें बढ़ी

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दुबई, आठ जून (एपी) अपनी फांसी की सजा का इंतजार कर रहे ईरानी रैपर तातालू का उत्थान और पतन ईरान की राजनीति में पिछले दशक की अव्यवस्था को दर्शाता है।

तातालू (37) का पूरा नाम अमीर हुसैन मगसूदलू है।

ईश निंदा के आरोप में दोषी करार दिये जाने के बाद वह मौत की सजा का सामना कर रहे हैं। हालांकि, कभी उन्होंने ईरान में राष्ट्रपति पद के कट्टरपंथी उम्मीदवार का समर्थन किया था।

तातालू का संगीत इस्लामी गणराज्य के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय रहा है क्योंकि इसने ईरान के धर्मतंत्र को उस समय चुनौती दी, जब देश की सरकार के खिलाफ विपक्ष बिखरा हुआ था और बहुत हद तक नेतृत्वविहीन था।

वर्ष 2022 में, हिजाब ठीक से नहीं पहनने को लेकर पुलिस द्वारा प्रताड़ित किये जाने पर महसा अमिनी नाम की युवती की मौत हो जाने, और उसके बाद देश भर में विरोध प्रदर्शनों की लहर के बाद रैपर के गीत राजनीतिक अभिप्राय वाले होते चले गए।

तातालू संगीत वीडियो में भी नजर आए, जिसमें अधिकारियों की आलोचना की गई।

वर्ष 2005 में रैपर का साक्षात्कार लेने वाले बीबीसी के पूर्व पत्रकार अली हमदानी ने कहा, ‘‘जब आप किसी संगीत वीडियो में दिखते हैं, तो आप कह रहे होते हैं, मैं यहां हूं, और मुझे आपकी पाबंदियों की परवाह नहीं है…यह साहसपूर्ण है।’’

ईरान के कई कार्यकर्ताओं ने तातालू की मौत की सजा की निंदा की है और जेल में खुदकुशी की रैपर की कथित कोशिश के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।

देश के उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने उनकी मौत की सजा को बरकरार रखा था।

न्यायपालिका के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने पिछले महीने एक प्रेस वार्ता में पत्रकारों से कहा, ‘‘इस फैसले की पुष्टि हो गई है और अब यह क्रियान्वित किया जाना है।’’

तेहरान की एक निचली अदालत ने शुरू में तातालू को ईशनिंदा के लिए पांच साल की सजा सुनाई थी। ईरान की शीर्ष अदालत ने इस फैसले को खारिज कर दिया और मामले को दूसरी अदालत में भेज दिया, जिसने जनवरी में उन्हें मौत की सजा सुनाई।

रैपर ने पहले से ही, वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने और अनैतिक आचरण सहित कई अलग-अलग मामलों में 10 साल की जेल की सजा का सामना किया है।

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में ईरान मामलों के विशेषज्ञ अब्बास मिलानी ने कहा कि रैपर को मौत की सजा ऐसे समय सुनाई गई है जब देश राजनीतिक रूप से बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

एपी सुभाष प्रशांत

प्रशांत

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