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Tuesday, July 1, 2025

“एचआईवी का इलाज संभव, लेकिन टीके और सुलभ दवाओं की कमी बनी चुनौती”

Fast News“एचआईवी का इलाज संभव, लेकिन टीके और सुलभ दवाओं की कमी बनी चुनौती”

(ब्रिजेट हेयर एवं बेंजामिन बैविन्टन, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी)

सिडनी, एक जुलाई (द कन्वरसेशन) एचआईवी के इलाज और रोकथाम के लिए बीते तीन दशक में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और आधुनिक दवाओं की मदद से एचआईवी अब एक ऐसा संक्रमण बन चुका है जिसका इलाज हो सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई एचआईवी संक्रमित व्यक्ति समय पर और नियमित रूप से एंटीरेट्रोवायरल दवाएं लेता है, तो उसकी जीवन प्रत्याशा लगभग सामान्य होती है। साथ ही ये दवाएं संक्रमण को दूसरे व्यक्तियों तक फैलने से भी रोकती हैं।

हालांकि, एचआईवी का कोई प्रभावी टीका अब तक विकसित नहीं हुआ है। लेकिन उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए संक्रमण से बचाव के लिए प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी) नामक प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं, जो रोजाना या जरूरत के अनुसार ली जा सकती हैं। हाल ही में अमेरिका में छह महीने तक सुरक्षा देने वाला इंजेक्शन भी स्वीकृत हुआ है।

*** इलाज के बावजूद उपचार की खोज क्यों जरूरी है?

विशेषज्ञों का कहना है कि एचआईवी की दवाएं और पीआरईपी तभी कारगर हैं जब उनकी सतत आपूर्ति बनी रहे। लेकिन विश्व के कई हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमाएं, दवाओं की महंगी कीमत और राजनीतिक अस्थिरता इन उपायों को फलीभूत होने की बात तो दूर, उन्हें कमजोर बना देती है।

उदाहरण के तौर पर, अमेरिका द्वारा हाल में अपनी विदेशी सहायता (यूएसएआईडी) में कटौती करने से कई निम्न-आय वाले देशों में एचआईवी दवाओं की आपूर्ति खतरे में पड़ गई है। इसी तरह पीआरईपी इंजेक्शन की ऊंची लागत के कारण इसे उन देशों में उपलब्ध कराना मुश्किल है जहां एचआईवी का बोझ सबसे अधिक है।

यह उपचार और रोकथाम के लिए वर्तमान दृष्टिकोण की कमजोरी को दर्शाता है। एचआईवी दवा की एक सुरक्षित, निर्बाध आपूर्ति की आवश्यकता है, और इसके बिना, लोगों की जान जाएगी और एचआईवी के नए मामलों की संख्या बढ़ जाएगी।

एक और उदाहरण छमाही पीआरईपी इंजेक्शन है जिसे हाल ही में अमेरिका में मंजूरी दी गई है। इस दवा में एचआईवी को नियंत्रित करने की बहुत संभावना है बशर्ते इसे सबसे अधिक एचआईवी बोझ वाले देशों में उपलब्ध और सस्ता बनाया जाए।

लेकिन कम आय वाले देशों के लिए इस महंगी दवा तक पहुंचने की संभावना अनिश्चित दिखती है, भले ही इसे इसकी वर्तमान लागत के एक हिस्से से बनाया जा सके, जैसा कि कुछ शोधकर्ता कहते हैं।

*** क्या एचआईवी से कुछ लोग ठीक हुए हैं?

अब तक सात से अधिक मामले सामने आए हैं जहां एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में संक्रमण के कोई चिन्ह नहीं मिले। लेकिन ये सभी मरीज कैंसर से पीड़ित थे और उन्हें बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी। उन्हें ऐसे डोनर से बोन मैरो प्रतिरोपण किया गया जिनके शरीर में एचआईवी रिसेप्टर मौजूद नहीं थे।

हालांकि यह तरीका जोखिमपूर्ण और महंगा है और बड़े पैमाने पर लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए विशेषज्ञ वैकल्पिक इलाज की खोज जारी रखने पर बल दे रहे हैं।

*** क्या हालिया ‘सफलता’ इलाज की दिशा में निर्णायक है?

ऑस्ट्रेलिया में हुए एक प्रयोग में शोधकर्ताओं ने एमआरएनए आधारित एक नैनोपार्टिकल विकसित किया है जो एचआईवी संक्रमित कोशिकाओं को ‘‘छिपे हुए’’ एचआईवी वायरस को उजागर करने के लिए प्रेरित करता है। इससे रोग प्रतिरोधक तंत्र या दवाएं वायरस को खत्म कर सकती हैं।

यह प्रयोगशाला स्तर पर सफलता है, लेकिन अभी इसका मानव परीक्षण होना बाकी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इलाज की दिशा में ऐसे कई कदम और अनुसंधान आवश्यक हैं जो समय और संसाधनों की मांग करते हैं।

***क्या निष्कर्ष निकाला जाए?

विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक एचआईवी के लिए कोई सुरक्षित, किफायती और प्रभावी इलाज नहीं विकसित हो जाता, तब तक रोकथाम और उपचार की मौजूदा रणनीतियों पर भरोसा करना होगा। इसके लिए सभी को बराबरी से जांच, पीआरईपी और दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करनी होगी।

( द कन्वरसेशन ) मनीषा वैभव

वैभव

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