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Tuesday, July 1, 2025

जीएसटी का जोर अब कारोबार सुगमता बढ़ाने, बेहतर अनुपालन पर

Newsजीएसटी का जोर अब कारोबार सुगमता बढ़ाने, बेहतर अनुपालन पर

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि आठ साल पूरे कर चुके माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का जोर अब कारोबार को सुगम बनाने, मजबूत अनुपालन सुनिश्चित करने और व्यापक आर्थिक समावेश को बढ़ावा देने पर होगा।

कुल 17 करों और 13 उपकरों को शामिल कर एक जुलाई, 2017 से लागू जीएसटी ने अनुपालन को सरल और कर प्रणालियों को डिजिटल बनाकर एक निर्बाध राष्ट्रीय बाजार बनाने में मदद की है। साथ ही इसने करदाता आधार का भी विस्तार किया है और सहकारी संघवाद को मजबूत किया है।

वित्त मंत्रालय ने ‘जीएसटी के आठ साल पूरे होने पर रिपोर्ट कार्ड’ जारी करते हुए कहा, ‘‘माल एवं सेवा कर अपने नौवें साल में प्रवेश कर रहा है। यह कारोबार को सरल बनाने के साथ मजबूत अनुपालन और व्यापक आर्थिक समावेश को प्राथमिकता देते हुए विकसित हो रहा है। इससे भारत की आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाने में इसकी भूमिका मजबूत हो रही है।’’

संचालन के पहले वर्ष (नौ महीने) में सकल जीएसटी संग्रह 7.40 लाख करोड़ रुपये था। पिछले कुछ वर्षों में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।

वित्त वर्ष 2024-25 में सकल जीएसटी संग्रह रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 9.4 प्रतिशत की वृद्धि है। यह वृद्धि अर्थव्यवस्था के संगठित होने और बेहतर कर अनुपालन को दर्शाती है।

सालाना जीएसटी राजस्व लगभग तीन गुना हो गया है। यह वित्त वर्ष 2017-18 के सात लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 22 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।

लगातार दहाई अंक की वृद्धि न केवल एक मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत देती है, बल्कि बेहतर अनुपालन, कम कर चोरी और कम करदाता बोझ के साथ एक परिपक्व, प्रौद्योगिकी-संचालित कर परिवेश का संकेत भी देती है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत का जीएसटी संग्रह अप्रैल, 2025 में 2.37 लाख करोड़ रुपये के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।

मई, 2025 तक 162 करोड़ से अधिक जीएसटी रिटर्न दाखिल किए गए हैं। यह केवल आठ वर्षों में एक सुव्यवस्थित, डिजिटल-प्रथम कर प्रणाली अपनाने और बढ़ते भरोसे को बताता है।

जीएसटी ने अप्रत्यक्ष करों को मानकीकृत स्लैब (0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत) और निर्बाध पंजीकरण, फाइलिंग और भुगतान के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल मंच (जीएसटीएन) के साथ सरलीकृत व्यवस्था में एकीकृत किया है। इससे अनुपालन लागत में कमी आई और व्यापार करने में आसानी हुई।

वर्ष 2017 में लागू होने के आठ साल बाद जीएसटी भारत के आर्थिक सुधारों की आधारशिला बना हुआ है, जो अप्रत्यक्ष करों को सुव्यवस्थित, एकीकृत कर प्रणाली से बदल रहा है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि एक साझा राष्ट्रीय बाजार को बढ़ावा देकर जीएसटी ने कार्यकुशलता बढ़ाई है, कारोबारी लागत कम की है और कराधान को पारदर्शी किया है।

भाषा रमण अजय

अजय

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