मुंबई, एक जुलाई (भाषा) विदेशी बाजार में अमेरिकी मुद्रा की कमजोरी के बीच स्थानीय शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख के कारण मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 25 पैसे बढ़कर 85.51 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर फरवरी, 2022 के बाद से सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फेडरल रिजर्व की नीति पर बढ़ते प्रभाव ने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को लेकर आशंकाओं को फिर से जगा दिया है।
इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से भी रुपये को समर्थन मिला।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.66 पर खुला। दिन के कारोबार के दौरान यह 85.34 प्रति डॉलर के उच्चस्तर तक गया। कारोबार के अंत में रुपया 85.51 (अस्थायी) पर बंद हुआ। इस तरह स्थानीय मुद्रा ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पिछले बंद भाव से 25 पैसे की वृद्धि दर्ज की।
रुपया सोमवार को डॉलर के मुकाबले 26 पैसे की गिरावट के साथ 85.76 पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अमेरिकी डॉलर में गिरावट और वैश्विक बाजारों में जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ने से रुपये में तेजी आएगी। सोना फरवरी, 2022 के बाद से सबसे निचले स्तर पर है और 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल कुछ समय के लिए 4.2 प्रतिशत से नीचे आ गया है।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतों में सुधार से तेज बढ़त पर लगाम लग सकती है। व्यापारी आईएसएम विनिर्माण पीएमआई और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल के भाषण से आगे के संकेत ले सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 85.20 से 85.85 के दायरे में रहने का अनुमान है।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.46 प्रतिशत गिरकर 96.43 पर आ गया।
वायदा कारोबार में वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.24 प्रतिशत गिरकर 66.58 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को शुद्ध आधार पर 831.50 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा पाण्डेय अजय
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