नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये की निधि के साथ अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना को मंगलवार को मंजूरी दे दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृत इस योजना का उद्देश्य उभरते क्षेत्रों तथा आर्थिक सुरक्षा, रणनीतिक उद्देश्य व आत्मनिर्भरता के लिए प्रासंगिक अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को बताया कि इस योजना का उद्देश्य अनुसंधान, विकास और नवाचार में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए कम या शून्य ब्याज दरों पर लंबी अवधि के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि यह योजना निजी क्षेत्र के वित्तपोषण में बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने के लिए तैयार की गई है तथा इसका उद्देश्य उभरते व रणनीतिक क्षेत्रों को पूंजी उपलब्ध कराना है, ताकि नवाचार व प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया जा सके, वहीं प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ाई जा सके।
वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) का शासी बोर्ड आरडीआई योजना को व्यापक रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा।
एएनआरएफ की कार्यकारी परिषद योजना के दिशानिर्देशों को मंजूरी देगी तथा दूसरे स्तर के फंड प्रबंधकों और उभरते क्षेत्रों में परियोजनाओं के दायरे की सिफारिश करेगी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग आरडीआई योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा।
वैष्णव ने कहा कि दीर्घकालिक, किफायती वित्तपोषण के लिए निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण आवश्यकता को पहचानते हुए आरडीआई योजना आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है, जिससे देश को अनुकूल नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की सुविधा मिलती है, जो 2047 में विकसित भारत बनने की ओर अग्रसर है।
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गोला अविनाश
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