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Tuesday, July 1, 2025

आर्थिक अन्याय का हथियार बना जीएसटी, संशोधन कर संघीय भावना के अनुकूल बनाने की जरूरत: राहुल

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नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के आठ साल पूरा होने के मौके पर मंगलवार को आरोप लगाया कि यह आर्थिक अन्याय का एक हथियर बन गया है तथा इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुछ अरबपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने मौजूदा जीएसटी प्रणाली में संशोधन की पैरवी की और कहा कि भारत एक ऐसी कर प्रणाली का हकदार है, जो केवल विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए काम करे।

जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था।

राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आठ साल बाद, मोदी सरकार का जीएसटी कोई कर सुधार नहीं है। यह आर्थिक अन्याय और कॉरपोरेट भाईचारे का एक बर्बर हथियार है। इसे गरीबों को दंडित करने, एमएसएमई को कुचलने, राज्यों को कमजोर करने और प्रधानमंत्री के कुछ अरबपति दोस्तों को लाभ पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।’’

उन्होंने दावा किया कि ‘‘अच्छे और सरल कर’’ का वादा किया गया था, लेकिन भारत को पांच अलग-अलग दर वाली कर व्यवस्था मिली, जिसे 900 से अधिक बार संशोधित किया गया है।

राहुल गांधी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यहां तक कि पॉपकॉर्न और क्रीम बन भी इसके दायरे में आ गए।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जीएसटी पोर्टल दैनिक उत्पीड़न का स्रोत बना हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। आठ साल पहले जीएसटी लागू होने के बाद से 18 लाख से अधिक उद्यम बंद हो गए हैं। नागरिक अब चाय से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक हर चीज पर जीएसटी का भुगतान करते हैं, जबकि कॉरपोरेट सालाना टैक्स छूट में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का आनंद लेते हैं।’’

उनके अनुसार, पेट्रोल और डीजल को जानबूझकर जीएसटी ढांचे से बाहर रखा गया है, जिससे किसानों, ट्रांसपोर्टरों और आम लोगों को नुकसान हो रहा है।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘गैर-भाजपा शासित राज्यों को दंडित करने के लिए जीएसटी बकाया को भी हथियार बनाया गया है, जो मोदी सरकार के संघवाद विरोधी एजेंडे का स्पष्ट प्रमाण है।’’

उनका कहना था, ‘‘जीएसटी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का एक दूरदर्शी विचार था, जिसका उद्देश्य भारत के बाजारों को एकजुट करना और कराधान को सरल बनाना था, लेकिन खराब कार्यान्वयन, राजनीतिक पूर्वाग्रह से इस मामले में धोखा दिया गया है। एक संशोधित जीएसटी लोगों के लिए सबसे पहले, व्यापार के अनुकूल और वास्तव में संघीय भावना वाला होना चाहिए।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘भारत एक ऐसी कर प्रणाली का हकदार है जो केवल विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए काम करे, ताकि छोटे दुकानदार से लेकर किसान तक हर भारतीय हमारे देश की प्रगति में भागीदार बन सके।’’

भाषा हक हक सुरेश

सुरेश

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