27.3 C
Jaipur
Tuesday, July 1, 2025

पैक्स के जरिये सभी ग्रामीण योजनाओं के एकीकरण को सहकारी व्यवस्था बना रही है सरकार

Newsपैक्स के जरिये सभी ग्रामीण योजनाओं के एकीकरण को सहकारी व्यवस्था बना रही है सरकार

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) सरकार प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के माध्यम से विभिन्न योजनाओं को एकीकृत करके एक व्यापक ‘सहकारी व्यवस्था’ (कोऑपरेटिव स्टैक) विकसित कर रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ वितरित करने के लिए एक एकीकृत प्रणाली बनाई जा सकेगी। सहकारिता मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

इस सहकारी ‘स्टैक’ पहल का उद्देश्य पैक्स को सरकारी लाभ पहुंचाने के प्राथमिक साधन के रूप में इस्तेमाल करके ग्रामीण संस्थागत परिदृश्य को बदलना है। यह मौजूदा खंडित दृष्टिकोण की जगह एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा, जहां विभिन्न योजनाएं अलग-अलग चैनल के माध्यम से संचालित होती हैं।

सहकारिता सचिव आशीष भूटानी ने गांव-स्तरीय ऋण सहकारी समितियों में पारदर्शिता लाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘(पैक्स का) पारिस्थितिकी तंत्र बदल दिया गया है। (हमने) प्रणाली को फिर से तैयार किया है…पैक्स में अस्पष्टता और पारदर्शिता की कमी को दूर करना आवश्यक था। हमने इसपर काम किया।’’

भूटानी ने पैक्स में उभरती प्रौद्योगिकियों पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से पैक्स के डिजिटलीकरण ने पहले ही परिचालन को बदलना शुरू कर दिया है। कई समितियां अब दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए डिजिटल मंच के माध्यम से काम कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि देशभर में अब लगभग 1.08 लाख पैक्स हैं जिनके 13 करोड़ सदस्य हैं। इनमें से लगभग 63,000 पैक्स कम्प्यूटरीकरण के उन्नत चरण में हैं।

सहकारी ऋण समितियां सबसे पुरानी संस्थाएं हैं जिनकी स्थापना वर्ष 1900 के दशक में की गई थी। समय के साथ, शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) और क्षेत्रीय सहकारी बैंक (आरसीबी) कम्प्यूटरीकृत हो गए, लेकिन पैक्स नहीं हुआ।

पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी को अंगीकार किये बिना, नियामक भारतीय रिजर्व बैंक उन्हें और अधिक गतिविधियां करने की अनुमति नहीं दे रहा था। छह जुलाई, 2021 को सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद पैक्स को कम्प्यूटरीकृत और मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

उन्होंने कहा कि सरकार 80,000 पैक्स को कम्प्यूटरीकृत करने का लक्ष्य बना रही है।

अधिकाधिक पैक्स के कम्प्यूटरीकृत होने के साथ, सरकार ने पैक्स के साथ सभी योजनाओं को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक पहल शुरू की है।

उन्होंने कहा, ‘‘पैक्स एक अधिनियम द्वारा समर्थित हैं। हर दिन एक नई प्रणाली जोड़ने के बजाय मौजूदा पैक्स को मजबूत क्यों न किया जाए? अलग-अलग क्षेत्रों में संस्थाएं बनाने का कोई मतलब नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब इरादा कृषि मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए एग्री स्टैक के समान सहकारी स्टैक की ओर बढ़ने का है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के लाभ को वितरित करने के लिए एक एकीकृत प्रणाली बनाने का विचार है।

उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूहों जैसे अन्य ग्रामीण समूह समय के साथ उभरे हैं। ये औपचारिक विधायी समर्थन के बजाय परिपत्रों और अधिसूचनाओं के तहत काम करते हैं, जिससे पैक्स विकसित किए जा रहे व्यापक सहकारी स्टैक के लिए अधिक मजबूत और कानूनी रूप से मजबूत आधार बन जाता है।

अधिकारी ने कहा कि स्व-सहायता समूह मुख्य रूप से इसलिए अस्तित्व में आए क्योंकि पैक्स कुछ क्षेत्रों में पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहे थे।

सचिवों की एक अंतर-मंत्रालयी समिति ग्रामीण क्षेत्रों में सभी सरकारी योजनाओं के लाभ वितरित करने के लिए एक ही केंद्र स्थापित करने पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।

अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि सहकारी स्टैक के माध्यम से सभी योजनाओं को निर्बाध रूप से जोड़ने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाना महत्वपूर्ण है, जिसमें डिजिटल एकीकरण सफल कार्यान्वयन की कुंजी है।

भूटानी ने कहा, ‘‘पैक्स के माध्यम से सभी योजनाओं को निर्बाध रूप से जोड़ने के लिए प्रौद्योगिकी ही आगे का रास्ता है। यह सुनिश्चित करने के और भी कारण हैं कि पैक्स जितनी जल्दी हो सकें प्रौद्योगिकियों को अपनाएं।’’

सहकारी स्टैक के भीतर प्रौद्योगिकी एकीकरण में स्वचालित मौसम सलाह जैसे एआई (कृत्रिम मेधा)-संचालित समाधान शामिल हैं जो किसानों को फसल प्रबंधन और कृषि व्यवहार के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles