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Tuesday, July 1, 2025

सकल जीएसटी संग्रह जून में 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये पर

Newsसकल जीएसटी संग्रह जून में 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये पर

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जून में 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। एक साल पहले इसी महीने में यह 1,73,813 करोड़ रुपये था। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

जीएसटी संग्रह मई में 2.01 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस साल अप्रैल में जीएसटी संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था।

घरेलू लेनदेन से सकल राजस्व जून में 4.6 प्रतिशत बढ़कर करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात से जीएसटी राजस्व 11.4 प्रतिशत बढ़कर 45,690 करोड़ रुपये रहा।

सकल केंद्रीय जीएसटी राजस्व जून में 34,558 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी राजस्व 43,268 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी राजस्व करीब 93,280 लाख करोड़ रुपये रहा। उपकर से राजस्व 13,491 करोड़ रुपये रहा।

इस बीच, जून में कुल ‘रिफंड’ 28.4 प्रतिशत बढ़कर 25,491 करोड़ रुपये हो गया।

शुद्ध जीएसटी संग्रह सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत बढ़कर 1.59 लाख करोड़ रुपये रहा।

बीडीओ इंडिया के अप्रत्यक्ष कर भागीदार कार्तिक मणि ने कहा कि मासिक आधार पर आंकड़ों को देखें तो इस साल जून के शुद्ध जीएसटी संग्रह में 8.48 प्रतिशत की कमी आई है। इस दौरान घरेलू बाजार और आयात से संग्रह में गिरावट हुई।

उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने की 8वीं वर्षगांठ पर उम्मीद है कि सालाना आधार पर संग्रह में इतनी धीमी वृद्धि महज एक अपवाद है और आने वाले महीनों में जीएसटी संग्रह सामान्य वृद्धि की राह पर लौट आएगा।

समीक्षाधीन महीने में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, राजस्थान और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों ने संग्रह में 4-8 प्रतिशत के बीच वृद्धि दर्ज की, जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात जैसे अन्य राज्यों ने 1-4 प्रतिशत के बीच गिरावट की सूचना दी है। हरियाणा, बिहार और झारखंड जैसे कुछ राज्यों ने 10 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर्ज की।

टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी के भागीदार विवेक जालान के अनुसार, लगातार दो महीनों में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी राजस्व और दोहरे अंक की वृद्धि के बाद, जून 2025 में 1.85 लाख करोड़ रुपये का संग्रह थोड़ा कम लगता है।

उन्होंने कहा कि जीएसटी में इस साल अभी तक 11.8 प्रतिशत की वृद्धि से लगता है कि वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत अच्छी स्थिति में है।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

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